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"उ०प्र० की जनता करे स्वीकार,मतदान ही है विकास का एकल आधार "

चुनाव के बिना लोकतंत्र की परिकल्पना भी नही की जा सकती है, एक तरह से लोकतंत्र और चुनाव को एक-दूसरे का पूरक माना जा सकता है। चुनावों में अपने मतदान की शक्ति का प्रयोग करके एक नागरिक कई बड़े परिवर्तन ला सकता है और इसी के कारण लोकतंत्र में प्रत्येक व्यक्ति को उन्नति का समान अवसर प्राप्त होता है। लोकतंत्र अर्थात् लोगों का शासन, लोकतन्त्र एक ऐसी शासन प्रणाली हैं,जिसके अंतर्गत जनता अपनी स्वेच्छा से निर्वाचन में आए हुए किसी भी दल को मत देकर अपना प्रतिनिधि चुन सकती है,तथा उसकी सत्ता बना सकती है लोकतंत्र का अभिप्राय, "जनता द्वारा,जनता के लिए,जनता का शासन है।"
लोकतंत्र एक ऐसी व्यवस्था है, जिसमें लोगों को स्वतंत्रता और मानवाधिकारों की प्राप्ति होती है। वैसे तो विश्व भर में साम्यवाद, राजशाही तथा तानाशाही जैसे तमाम तरह की शासन प्रणालियां है, लेकिन लोकतंत्र को इन सभी से श्रेष्ठ माना गया है। ऐसा सिर्फ इसलिए क्योंकि लोकतंत्र में जनता के पास चुनावों द्वारा अपनी सरकार स्वयं चुनने की शक्ति होती है। भारत एक लोकतांत्रिक देश है, एक लोकतांत्रिक देश के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है मतदान l मतदान की व्यवस्था के द्वारा किसी बर्ग या समाज का सदस्य राज्य की संसद या विधानसभा में अपना प्रतिनिधि चुनने या किसी अधिकारी के निर्वाचन में अपनी इच्छा या किसी प्रस्ताव पर अपना निर्णय प्रकट करते है इस दृष्टि से यह व्यवस्था सभी चुनावों तथा सभी संसदीय या प्रत्यक्ष विधि निर्माण में प्रयुक्त होती है। चुनाव लोकतंत्र के नागरिकों को पांच वर्षों में एक बार अवसर देते हैं कि अयोग्य एवं स्वार्थी प्रशासकों या प्रशासक दलों को उखाड़ फेंका जाए योग्य और ईमानदार लोगों या दलों को शासन सूत्र संचालन की बागडोर सौपी जा सके। मतदान वह अवसर होता है  जब विगत वर्षों की नीति और योजनागत सफलताओं-असफलताओं का लेखा-जोखा करके नवीन घटकों व तथ्यों की भूमिका बाधी जा सके । राज्य के नागरिकों को देश के संविधान द्वारा प्रदत्त सरकार चलाने हेतु, अपने प्रतिनिधि निर्वाचित करने के अधिकार को मताधिकार कहते हैं। जनतांत्रिक प्रणाली में इसका बहुत महत्व होता है इस प्रणाली पर आधारित समाज व शासन की स्थापना के लिए आवश्यक हैं कि प्रत्येक वयस्क नागरिक को बिना किसी भेदभाव के मत का अधिकार प्रदान हैं । जिस देश या राज्य में जितने अधिक नागरिकों को मताधिकार प्राप्त रहता है उस देश या राज्य को उतना ही अधिक जनतांत्रिक समझा जाता है इसप्रकार हमारा देश भारत संसार के जनतांत्रिक देशों में सबसे बड़ा है ,क्योंकि हमारे यहां मताधिकार प्राप्त नागरिकों की संख्या विश्व में सबसे अधिक है । 
हमारे समाज में दो प्रकार की दृष्टि के लोग रहते हैं एक तो वह जो मतदान के प्रति जागरूक है व मतदान के समय अपनी जागरुकता का परिचय बखूबी देते हैं। 
और हमारे समाज में कुछ ऐसे लोग भी हैं जिनके लिए चुनाव का कोई  महत्व नहीं होता है , ऐसे लोग मतदान दिवस को एक सरकारी अवकाश से ज्यादा कुछ नहीं समझते हैं । हमारे समाज के सभ्य व शिक्षित लोग अच्छी तरह से जानते हैं कि उनके मताधिकार में कितनी शक्ति है। जिसके द्वारा वह देश निर्माण में अपना योगदान दे सकता है, किन्तु यदि इस बात पर विचार करे तो वर्तमान समय में इंसान अपने दैनिक जीवन में इतना अधिक व्यस्त हो गया है कि वह मतदान के अस्तित्व को अपने जीवन से समाप्त कर चुका है । अगर हमारे देश के लोग मतदान करने को लेकर जागरुक नहीं होंगे तो इससे काफ़ी नुकसान हो सकते है, जैसे की जो लोग मतदान नहीं करते,ऐसे लोग देश के भविष्य को संकट में डालते ही है,और सही तरीके से मतदान नहीं होने के कारण सही सरकार नहीं बनती,अर्थात सही प्रतिनिधि नहीं चुना जाएगा जब तक मतदान करने को लेकर लोग जागरूक नहीं होंगे, तब तक हमारे देश से भ्रष्टाचार,गरीबी,पानी -बिजली,बेरोजगारी और रिश्वतखोरी आदि की समस्याएं बनी रहेगी। भारत सरकार तमाम तरह के जागरूकता अभियान चला रही हैं जो कि अपने आप में उल्लेखनीय है ।  चाहे बात सोशल मीडिया की करे या फिर समाचार पत्रों की, सरकार  हर उस मार्ग से जनता को मतदान के प्रति जागरूक करने में लगी है,जो कि सरकार अपने माध्यम से कर सकती है,लेकिन फिर भी यदि जनता आलस की चादर ओढ़कर के लेटी रहे तो इसमेंं सरकार भी कुछ नहीं कर सकती हैं । जनता को भी अपनी जिम्मेदारियों को समझने की आवश्यकता है । हमारा यूथ बर्ग तो, लाइन में लगकर मतदान देना पड़ेगा, इस कारण से मतदान नहीं देने जाते । जबकि युवा पीढ़ी को तो यह बात समझनी चाहिए कि उनके मतदान का कितना महत्व है ? मेरे अनुसार हर उस व्यक्ति को मतदान करना चाहिए जो कि मतदान हेतु योग्य है। एक सशक्त लोकतन्त्र वही होता है,जहां हर नागरिक अपने मताधिकार का प्रयोग करे। अगर आप बुराई और भ्रष्टाचार के खिलाफ है तो आपका मतदान ही भविष्य की राजनीति का हिस्सा बन सकता है। ऐसा कोई दल नहीं है जिसमें भ्रष्ट नेता न हो,लेकिन आपको अपनी ताकत और सही उम्मीदवार पहचानने की ज़रूरत है ।लोकतन्त्र में हर व्यक्ति का महत्व है और हर व्यक्ति को अपना कर्तव्य समझते हुए मत का प्रयोग करना चाहिए। स्वतंत्रता का सबसे बेहतरीन तोहफा हमें मताधिकार के रूप में मिला है। मतदान के लिए प्रत्येक मतदाता को जागरुक होना चाहिए ताकि वो अपने क़ीमती वोट को सही उम्मीदवार को देकर भारत के बिकास में अपना योगदान दे सकें l किसी भी लोकतांत्रिक देश में चुनाव और राजनीति एक-दूसरे के पूरक का कार्य करते है ,और लोकतंत्र के सुचारु कार्यन्वन के लिए यह आवश्यक भी है। लेकिन इसके साथ ही हमें इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए चुनावों के दौरान उत्पन्न होने वाली प्रतिद्वंदिता लोगो के बीच विवाद तथा दुश्मनी का कारण ना बनें और इसके साथ ही हमें चुनावी प्रक्रिया को और भी पारदर्शी बनाने की आवश्यकता है ताकि अधिक से अधिक साफ-सुथरे तथा ईमानदरी छवि के लोग राजनीति का हिस्सा बन सके। भारत के हर नागरिक को यह शपथ लेनी चाहिए कि -  "हम भारत के नागरिक लोकतंत्र में आस्था रखने वाले  शपथ लेते हैं कि देश की निष्पक्ष ,स्वतंत्रऔर शांतिपूर्ण चुनाव कराने की लोकतान्त्रिक परम्पराओ को बरकरार रखेंगे । प्रत्येक चुनाव में जाति,धर्म ,नस्ल,भाषा,समुदाय के  आधार पर प्रभावित हुए बिना निर्भीक होकर मतदान करेंगे ।" 

                                           ✍ लक्ष्मी शुक्ला, 
                                      टिकरिया, अलीगंज बाजार,
                                                   सुल्तानपुर
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