गर्भावस्था के दौरान एनीमिया से बचाव के लिए सावधानी बरतें - डॉ अनूप
एनीमिया से बचाव के लिए किशोरी व महिलाएं समय पर कराएं नियमित स्वास्थ्य जांच
डा राजेश सिंह चौहान
इटावा 22,फरवरी 2022।
महिलाएं लड़कियां हमेशा अपने खानपान को लेकर लापरवाही बरती हैं और अपनी सेहत पर ध्यान देना जरूरी नहीं समझती जिसका परिणाम होता है महिलाएं बीमारी का शिकार हो जाती है। इसमें स्थिति में सबसे ज्यादा देखा गया है महिलाओं व किशोरियों में रक्त की कमी हो जाती है। जो उन्हें एनीमिक बना देता है और इस कारण उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ता है इससे बचने के लिए सही समय पर खून की जांच कराकर सही उपचार लें यह कहना है नगरीय स्वास्थ्य केंद्र कोकपूरा के चिकित्सा अधीक्षक डॉ अनूप रायपुरिया का। उन्होंने बताया की एनीमिया का अर्थ है शरीर में खून की कमी होना हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन एक ऐसा तत्व है जो खून की मात्रा को बताता है। महिलाओं में प्रति लीटर 11 से 14 ग्राम हीमोग्लोबिन होना चाहिए जब यह स्तर 12 ग्राम प्रति लीटर से ज्यादा है तो महिला या किशोरी को एनीमिया नहीं है लेकिन 7 से 10 ग्राम हीमोग्लोबिन होने पर वह मॉडरेट एनीमिया की श्रेणी में आ जाएगी और 7 ग्राम से कम हीमोग्लोबिन होने पर सीवियर एनीमिया की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
डॉ अनूप ने बताया गर्भवती महिलाओं को एनीमिया से बचाव के लिए सावधानी बरतनी चाहिए जिसके लिए समय-समय पर खून की जांच कराना आवश्यक है। गर्भवती अपने भोजन में आयरन युक्त भोज्य पदार्थ जैसे - हरी सब्जियां, अंडा, मटर, फलियां, दालें ,सूखे मेवे, मांस, मछली बाजरा, गुड़, गोभी, शलगम, चुकंदर, गाजर का प्रमुखता से प्रयोग करें। करनपुरा नगरीय स्वास्थ्य केंद्र की डॉ श्रुति बताती हैं वर्तमान समय में स्वास्थ्य केंद्र पर आने वाली गर्भवती महिलाओं में 10 में से चार-पांच महिलाएं एनीमिया से ग्रस्त पाई जाती है। डॉ श्रुति बताती है कि गर्भवती महिलाएं ही नहीं बल्कि किशोरियों और अन्य महिलाओं में खानपान संबंधी जागरूकता की कमी होने के कारण वह आयरन युक्त भोज्य पदार्थ न लेने पर भी एनीमिया का शिकार हो जाती है। इसलिए गर्भवती महिलाओं व किशोरियों को नियमित रूप से 100 दिन तक आयरन तत्व व फोलिक एसिड की गोली रात को खाने के बाद सेवन करनी चाहिए। इसके साथ अपने भोजन में आयरन युक्त भोज्य पदार्थ को प्रमुखता से लेना चाहिए। डॉ श्रुति ने सभी महिलाओं व किशोरियों से अपील कि नाखूनों का पीला या सफेद पड़ना, थकान और कमजोरी, सांस लेने में परेशानी, काम करने में जल्दी थकावट होना,बार- बार चक्कर आना ,चेहरे व पैरों पर सूजन जैसे लक्षण दिखने पर महिलाओं को अपने निकट स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर जांच करानी चाहिए और चिकित्सीय परामर्श लेना चाहिए। उन्होंने बताया कि गर्भवती महिलाओं को समय से खाना खाना चाहिए गोली के साथ अपने खानपान में फल पत्तेदार सब्जी गुण को भी शामिल करना चाहिए। गर्भवती महिला को गर्भावस्था के दौरान एनीमिया से बचाव के लिए सावधानी बरतनी आवश्यक है। किसी भी स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर समय-समय पर निशुल्क जांच जरूर करवाएं।
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