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आशा ने दिखाई राह तो सलोनी को मिली नई मुस्कान

आशा ने दिखाई राह तो सलोनी को मिली नई मुस्कान

आरबीएसके टीम की मदद से कटे होंठ की हुई सफल सर्जरी 

केएमबी दिलीप श्रीवास्तव

देवरिया। आशा और राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) टीम ने चार माह की बच्ची सलोनी के चेहरे का स्वरुप बदलकर उसके माता-पिता के चेहरे पर मुस्कान लौटा दी है। सलोनी  को जन्म के समय से ही कटे होंठ की बीमारी थी, जिसके कारण उसका चेहरा कुरूप दिखाई देता था।अपनी बच्ची की स्थिति से माता-पिता परेशान थे, लेकिन अब वह भी अन्य बच्चों की तरह सामान्य दिख रही है। इससे बच्ची  के माता-पिता को खुशियों की सौगात मिल गई है। बैतालपुर ब्लॉक के मडुआडीह गांव निवासी राजवंती की दो बेटियां हैं। उनकी ढाई वर्ष की बेटी का नाम शिवानी और चार माह की छोटी बेटी का नाम सलोनी है। राजवंती बताती हैं कि 15 अप्रैल 2022 को प्रसव पीड़ा होने पर आशा कार्यकर्ता सुशीला देवी ने उन्हें सीएचसी पहुँचाया जहां से चिकित्सकों ने जिला अस्पताल रेफर कर दिया, लेकिन परिवार के लोग उन्हें लेकर प्राइवेट अस्पताल चले गए, वहां सलोनी का जन्म हुआ। उन्होंने बताया कि जब सलोनी का जन्म हुआ तो उसके मुँह का ऊपर का होंठ कटा था जिसे देख वह और सलोनी के पिता रामबदन दोनों ही काफी परेशान हो गए। रामबदन पेशे से प्राइवेट वाहन चलकर अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं। माता-पिता जब भी बच्ची की तरफ देखते तो काफी निराश हो जाते थे। राजवंती बताती हैं कि जब सलोनी दो माह की हुई तो एक दिन नवजात शिशु देखभाल कार्यक्रम के तहत गांव कि आशा कार्यकर्ता सुशीला देवी घर पर आईं और सलोनी को देखने के बाद प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बैतालपुर ले जाकर जाँच कराने को कहा और यह भी बताया कि इसका इलाज निःशुल्क हो सकता है। आशा कार्यकर्ता सुशीला बताती हैं कि अभिभावकों को डर था कि होठ की सर्जरी में काफी पैसे लग जाएंगे लेकिन जब उन्हें विश्वास दिलाया कि पैसे नहीं लगेंगे तो वह इलाज के लिए गोरखपुर जाने को तैयार हो गये। 15 जुलाई 2022 को आशा कार्यकर्ता सुशीला देवी सलोनी को राजवंती के साथ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बैतालपुर ले गईं, जहां आरबीएसके के चिकित्सक डॉ. जेपी सिंह और अमृता गुप्ता की टीम ने सलोनी की जाँच किया और राजवंती को विश्वास दिलाया कि निःशुल्क इलाज के बाद सलोनी सामान्य बच्चों जैसी दिखने लगेगी। यह सुनते ही राजवंती के चेहरे पर जैसे ख़ुशी दौड पड़ी। आरबीएसके टीम की मदद से राजवंती और रामबदन एक अगस्त को सावित्री अस्पताल गोरखपुर लेकर गए, जहां चिकित्सकों ने सलोनी की सभी जाँच पूरी कर दो अगस्त को उसके होंठों की सफल सर्जरी किया। 44 बच्चों की हुई सर्जरी
आरबीएसके के नोडल अधिकारी व एसीएमओ डॉ राजेंद्र प्रसाद ने बताया कि जनवरी 2020 से लेकर अबतक 49  बच्चे कटे होंठ और कटे तालु के मिले हैं। अब तक 44 बच्चों के कटे होंठ और कटे तालु की सर्जरी हो चुकी है आरबीएसके योजना के तहत न्यूरल ट्यूब की खराबी, फटा होठ एवं तालू-सि़र्फ फटा तालू, अंदर की ओर मुड़ी हुई पैर की अंगुलियां, असामान्य आकार का कुल्हा, जन्मजात मोतियाबिद, जन्मजात बहरापन, जन्मजात हृदयरोग जैसे 44 बीमारियों का निःशुल्क इलाज कराया जाता है।
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