भीषण बारिश ने की लोगों की घर गृहस्थी तबाह, पीड़ितों में बांटी समाजसेवी ने राहत सामग्री
सुल्तानपुर। भदैया विकास खण्ड के अभिया कलां गांव के घरों में बारिश का पानी भर जाने के कारण लोग घर छोड़कर अन्य घरों में रहने के लिए मजबूर हो गए हैं। गुरुवार की रात से शुरू हुआ बारिश का पानी अभी भी लोगों के घरों में भरा हुआ है। पानी कहीं निकलने की व्यवस्था नहीं की गई। जहां लोगों को रहने के लिए सुविधा नहीं है। लोग अपने घरों से निकलकर सड़कों पर रहने के लिए मजबूर हो गए हैं। कुछ लोग गांव के अन्य घरों में रहकर अपना जीवन यापन कर रहे हैं। रविवार को भदैया विकास खण्ड क्षेत्र अंतर्गत अभिया कलां निवासी समाजसेवी युवा नेता दिव्यांशु शुक्ला आगे आकर शनिवार को बारिश के पानी से हुए प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया एवं लोगो से मुलाकात कर हालचाल जाना। इस दौरान ग्राम सभा के कई बस्तियों में जाकर हाल-चाल पूछा बारिश से पानी भरे पीड़ित परिवारों के बीच 5 किलो आटा, तेल, चावल, दाल, नमक, मोमबत्ती एवं माचिस का वितरण किया गया। राहत सामग्री वितरण के दौरान समाज सेवी दिव्यांशु शुक्ला ने कहा की गाँव मे बारिश का पानी होने से लोगों के घरों में पानी भरा हुआ है। उन्होंने कहा कि प्रशासनिक स्तर पर कोई व्यवस्था बाढ़ पीड़ितों को उपलब्ध नही कराया गया है। उन्होंने सरकार एव जिला प्रशासन से मांग की बारिश के पानी से भरे घर पीड़ितों के बीच सरकारी स्तर पर राहत सामग्री उपलब्ध कराया जाए वा लोगों को पक्का माकान उपलब्ध कराया जाए वहीं पर ग्रामीणों ने कहा की लाॅकडाउन में भी दिव्यांशु ने लोगों के घरों में राहत सामग्री वितरित करने का काम किया था। इस दौरान युवा नेता दिव्यांशु शुक्ला, दीप नारायन मिश्रा, शिव कुमार दुबे पंचायत सदस्य, अजीत चौहान अंशु तिवारी, लकी शुक्ला अभिया कलां कोटेदार समेत भारी संख्या में लोग मौजूद रहे। ग्रामीणों ने कहा कि अभी तक ब्लांक मुख्यालय के पंचायत सचिव समेत कोई अधिकारी हम लोगों का हाल-चाल लेने तक नहीं आए हम लोग अपने पंचायत भवन पर दो दिनों से चक्कर लगा रहे हैं। वहां पर कोई नहीं मिला, अपनी समस्या कहे तो किससे कहे, हल्का लेखपाल भी देखने नहीं आएं। गुरुवार को हुई तेज बारिश से जहां लोगों के घरों में पानी भरा हुआ है।रहने के लिए सुविधा नहीं है लोग कहां रह रहे हैं। पानी कैसे निकलेगा इस सब की जानकारी करने अब तक ग्राम प्रधान नहीं आए आज तीसरे दिन बाद प्रधान प्रतिनिधि आए पुछताछ कर चले गए पानी निकलवाने के लिए भी नहीं सोचे की कैसे पानी की निकासी होगी।
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