रमजान का पाक महीना शुरू इस्लाम धर्म के लोगों ने आज रक्खा पहला रोजा
केएमबी संवाददाता
रमजान का महीना मुसलमानों के लिए सबसे खास महीना है। इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक रमजान नौवां महीना होता है। यह महीना शाबान के बाद आता है और इसके बाद शव्वाल महीना शुरू होता है, जिसमें ईद-उल-फितर मनाई जाती है। रमजान मुसलमानों के लिए सबसे खास महीना है। हदीस शरीफ के मुताबिक इस महीने में ही पैगंबर मुहम्मद स.अ.व.पर पहली बार अल्लाह की तरफ से कुरान नाजिल (अवतरण) हुआ था। ये पूरा महीना इबादत का महीना है जिसमें हर मुसलमान के लिए 30 दिनों का रोजा रखना फर्ज है।रमजान का महीना सिर्फ भूख और प्यास पर काबू करने का महीना नहीं है बल्कि इंसान को अपने आप पर काबू करने का,अपनी रूह को पाक करने का, अल्लाह के करीब जाने का सुनहरा मौका है। इस महीने में की गई इबादत और नेकी का अल्लाह अपने बंदों को दोगुना अज्र (फायदा) देता है। इस महीने में की गई इबादत रूहानी सुकून देती है। रमजान के महीने की शुरूआत चांद देखकर की जाती है। चांद देखने के बाद उसी रात मस्जिदों में तरावीह शुरू हो जाती है और अगले दिन मुसलमान रोजा रखते हैं। इस साल रमजान की शुरुआत 2 मार्च 2025 से हुई है। रमजान का महीना बहुत बरकत वाला होता है।हसीद में बताया गया है कि ये वहीं महीना है जिसमें दोज़ख के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं और जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं। इस पूरी महीने में रोजा रखना हर मुसलमान के लिए फर्ज़ (जरूरी) हैं। ये वो महीना है जिसमें अल्लाह की तरफ से रहमतें नाज़िल होती है। इस पूरे महीने में 15 साल से ज्यादा के लड़का लड़कियों पर रोज़ा फर्ज है। रमजान के पूरे महीने में मुसलमान दिन में रोजा रखते हैं और रात में ईशा की नमाज के बाद तरावीह पढ़ते हैं। रमाज की ये सबसे दो अहम इबादतें है जिसे हर मुसलमान मानता है। रोजे मुसलमान पर फर्ज तो तरावी सुन्नत है। इस पूरे महीने की इबादत का मकसद खुद पर कंट्रोल करना है, नेक काम करना है और सब्र करना है। माहे रमजान के इस पूरे महीने की इबादत ये सिखाती है कि मुसलमान नर्म अखलाक बने और खुद पर कंट्रोल करें। दूसरों से मोहब्बत और हमदर्दी सिखाता है रमजान का महीना। रोजा न सिर्फ हमारे पेट का होता है बल्कि हमारे जिस्म का भी रोजा होता है। अगर मुसलमान रोजा रखकर नेक काम करें तो रोजे की नूरानियत बढ़ जाती है। रोजे की हालत में रोजे की एहतियात रखना बेहद जरूरी है
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