साहिल के सुकूँ से किसे इंकार है लेकिन तूफ़ान से लड़ने में मज़ा और ही कुछ है
केएमबी श्रावण कामड़े
छिंदवाड़ा। जिले के आदिवासी बाहुल्य विकास खंड बिछुआ के ग्राम माझीयापार की श्रीमती रामकली न सिर्फ खुद आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हुईं, बल्कि गांव की अन्य महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनाया। श्रीमती रामकली ग्राम माझीयापार ने अपने मजबूत इरादों से ट्रैक्टर एवं थ्रेसर की मालकिन बनी जो की विकासखंड एवं जिले की पढ़ी लिखी महिलाओं के लिए एक मिसाल पेश की है। रामकली मसकोले 2 बहन है उनका भाई नहीं है, इस कारण मायके में ही शादी कर रहने लगी लेकिन वो बस आम महिलाओं की तरह जिंदगी नहीं गुजारना चाहती थी, बल्कि एक मकसद के साथ समाज को बदलने का भी जज्बा उसमें था। उनके द्वारा अपने गांव के 62 महिलाओं को स्व सहायता समूह में जोड़ा और समूह से जोड़कर आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए चकरी राशि सामुदायिक निवेश राशि एवं बैंक से लोन एवं अन्य विभागों की योजना का लाभ अपने गांव की महिलाओं को दिलाया जिससे उनके गांव की अन्य महिलाएं भी आर्थिक रूप से सशक्त हो रही है। आपको और आपकी जिद को नमन।
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