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स्वयं को अनुशासित रखना बेहतरीन कलाओं में से एक है- डॉ हीरालाल यादव

स्वयं को अनुशासित रखना बेहतरीन कलाओं में से एक है- डॉ हीरालाल यादव

केएमबी संवाददाता
सुल्तानपुर। राणा प्रताप पी जी कॉलेज सुल्तानपुर के रक्षा अध्ययन विभाग में 'विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्व एवं उपादेयता' विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में शिवानी तिवारी, विकास कश्यप, तलत परवीन, गरिमा सिंह ने विद्यार्थी जीवन मे अनुशासन विषय पर अपने-अपने विचार व्यक्त किए। विभागध्यक्ष डॉ हीरालाल यादव ने अपने विचार प्रस्तुत करते हुए कहा कि अगर किसी विद्यार्थी या बच्चे को अनुशासन के बारे में सिखाया जाए, तो उसे अपने जीवन की समस्याओं को हल करने में ज्यादा परेशानी नहीं होगी। अनुशासन के बिना विद्यार्थी जीवन की कल्पना करना काफी कठिन है। अगर बच्चा अनुशासन में रहेगा तो ही एक सफल जीवन की ओर अग्रसर होगा और बुरी संगति से हमेशा बचकर रहेगा।वास्तव में अनुशासन ही विद्यार्थियों के जीवन में सबसे ज्यादा अहम भूमिका निभाता है। जीवन में अनुशासन का महत्व उतना ही महत्वपूर्ण है, जिस प्रकार से चाय में चीनी का होना जरूरी होता है। बिना अनुशासन के मनुष्य पशु के समान हो जाता है। अनुशासन मनुष्य के जीवन का अभिन्न अंग है। अनुशासन ही वह महत्वपूर्ण चारित्रिक विशेषता है, जो मनुष्य को पशुओं से अलग करती है। स्वयं को अनुशासित रखना बेहतरीन कलाओं में से एक है। अगर विद्यार्थी अपने जीवन में अनुशासन अपना लें तो वह अवश्य ही अपनी पढ़ाई को अच्छी तरह से पूरा कर पाएंगे और अच्छी तरह से शिक्षा ग्रहण कर पाएंगे। इस संगोष्ठी में प्रीति, गीता, संध्या यादव, हिमांशी चौरसिया, सुमित कुमार, अंशिका यादव, सुहानी सिंह, सर्वेश कुमार, कशिश ,खुशी सोनी, संजना, काजल यादव ,विवेक कुमार निषाद, आरती, शिवानी तिवारी, गौरव यादव, पुनीता, शिफा बानो, आदर्श नाथ, आदर्श यादव, अतुल यादव, आर्यन यादव, अफसर अहमद, सौरव यादव, माधव प्रसाद दुबे, सिद्धांत कुमार, विकास कश्यप, हिना परवीन, प्रीति वर्मा ,करिश्मा यादव ,अंतिम जायसवाल, शालू मौर्या, तलत फरहीन आदि विद्यार्थी उपस्थित रहे।
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