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मनीष पाइपलाइन के भ्रष्टाचार में लिप्त होने के कारण मासूल ग्राम में पेयजल के संकट से जूझ रहे आदिवासी

मनीष पाइपलाइन के भ्रष्टाचार में लिप्त होने के कारण मासूल ग्राम में पेयजल के संकट से जूझ रहे आदिवासी

 केएमबी नीरज डेहरिया 

सिवनी। केवलारी विधानसभा के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र जनपद पंचायत धनोरा के अन्तर्गत ग्राम पंचायत कुड्डो के ग्राम मासूल में मनीष पाइपलाइन जल निगम की लापरवाही के कारण कई वषोॅ से मासूल ग्राम के आदिवासियों को पेयजल पानी की संकट से जूझना पढ रहा है जबकि केवलारी विधानसभा के भाजपा विधायक सत्ताधारी पार्टी के होने के बाद भी आदिवासी ग्रामीणजनों को पानी जैसे संकट से जूझना पढ रहा है।ग्रामीणों ने बताया है कि  मध्यप्रदेश सरकार द्वारा पानी के लिए घर घर नल लगावा दिये गये हैं लेकिन उसमें पानी की कोई गारंटी नही है। महीने में कभी आ गया तो ठीक नहीं आया भी तो ठीक है। यदि आता भी है तो पीने योग्य नहीं रहता। उस पानी में कीड़े इत्यादि आते है जिसके कारण ग्रामीणों को लगभग एक किलोमीटर की दूरी से पीने के लिए पानी लाकर अपनी प्यास बुझा पा रहे हैं। धनोरा विकास खण्ड क्षेत्र में ऐसे बहुत से गाँव है जिसमें अभी लोगों को पानी नहीं मिल पा रहा है। इस पूरे मामले में निगम मनीष पाइपलाइन कम्पनी के बडे़ बडे़ कर्मचारियों की लापरवाही एवं अनियमितता देखी गई है जबकि मध्यप्रदेश सरकार दलित आदिवासियों के लिए एक से बढ़कर एक जनहितकारी योजना संचालित कर रही है जो इन लोगों को मूलभूत सुविधाओं के अभाव से योजनाओं का सही समय में लाभ नहीं ले पा रहे हैं।ग्रामीण क्षेत्र का व्यक्ति एक कुएं के अंदर का मेढ़क की तरह अपना जीवन यापन कर रहे हैं।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की योजना घर घर शौचालय, घर घर पानी जैसी योजनाओं की पोल खोल रहे हैं।भाजपा सरकार की छवि धूमिल करने में लगे है। जल निगम के जबाबदार अधिकारी कर्मचारी और भाजपा के सत्ताधारी नेताओं के कानों में जू तक नहीं चल पा रही है। चुनाव आते ही फिर सब कुछ नजर आने लगता है। भाजपा के शासन काल में बूंद बूंद पानी को आदिवासी ग्राम मासूल वासी मोहताज हैं। ग्रामीणों के द्वारा कई बार शिकायत करने के बाद भी पानी नहीं मिल पा रहा है। जिला प्रशासन के अधिकारी व कर्मचारी एवं जनप्रतिनिधि गण यदि इसी तरीके से कुंभकरणी नीद में सोते रहेंगे तो आदिवासी जनता का कैसे भला होगा बड़ा प्रश्न है।
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