जिले के नोडल अधिकारी ने गोवंश आश्रय स्थलों का निरीक्षण कर जानी जमीनी हकीकत
सुलतानपुर। शासन द्वारा नामित विशेष सचिव, सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग, उत्तर प्रदेश शासन लखनऊ एवं जनपद नोडल अधिकारी भूपेन्द्र एस0 चौधरी द्वारा जनपद के निराश्रित गोवंशों को संरक्षित किए जाने एवं गोवंशों को संपूर्ण व्यवस्थाए उपलब्ध कराने तथा चल रहे निर्माणाधीन गौशालाओं को शीघ्र पूर्ण कराये जाने हेतु आदि के संबंध में समस्त उप जिलाधिकारी, खंड विकास अधिकारी, नगर निकाय अधिशासी अधिकारी आदि के साथ विकास भवन स्थित प्रेरणा सभागार में समीक्षा बैठक आयोजित हुई। बैठक में जिलाधिकारी रवीश गुप्ता, परियोजना निदेशक (डीआरडीए) कृष्ण करूणाकर पाण्डेय द्वारा जनपद में गोवंशों हेतु किए जा रहे अभिनव कार्यों की पीपीटी के माध्यम से जानकारी दी गयी। उक्त बैठक में परियोजना निदेशक (डीआरडीए) द्वारा नोडल अधिकारी को अवगत कराया गया कि जनपद में कुल निर्मित एवं क्रियाशील अस्थायी गौआश्रय स्थलों की संख्या-18 (150 से अधिक गोवंश वाले), निर्माणाधीन अस्थायी गोआश्रय स्थलों की संख्या-02, जनपद में स्थापित वृहद गोसंक्षरण केन्द्रों की संख्या-06 (संचालित व क्रियाशील-03, निर्माणाधीन-03) है। उन्होंने नोडल अधिकारी को जनपद में गोवंशों हेतु बनाये गये शेडों के अभिनव प्रयोग के बारे में अवगत कराया। उन्होंने कहा कि बोर बेल से निकलने वाली निष्प्रयोज्य जीआई पाइप से गोवंशों के रहने हेतु शेडों का निर्माण कराया गया है। ऐसा किसी अन्य जिले में नहीं किया गया है। इससे कम लागत में अच्छा शेड निर्माण कराया जा सकता है। नोडल अधिकारी द्वारा इस कार्य की सराहना की गयी। उन्होंने नोडल अधिकारी को अवगत कराया कि गोवंशों को ठण्ड से बचाव हेतु समस्त गोआश्रय स्थलों में तिरपाल, जूट के बोरे तथा अलाव की व्यवस्था करायी गयी है। गोवंशों को खाने हेतु भूषा, हराचार, दाना, संकेन्द्रित आहार की पर्याप्त व्यवस्था है। नोडल अधिकारी द्वारा गोवंशों पर होने वाले व्यय, नवीन सुझाव, देखरेख, कुल निराश्रित गोवंशों की संख्या, स्वास्थ्य, टीकाकरण आदि के बारे में पशुचिकित्सा अधिकारी से जानकारी प्राप्त की गयी। नोडल अधिकारी द्वारा गोवंशों के बेहतर जीवन यापन हेतु सभी सम्बन्धित अधिकारियों को अपने-अपने सुझाव लिखित रूप में पीडीडीआरडीए को उपलब्ध कराने की बात कही। उन्होंने कहा कि निराश्रित गोवंशों की सही गणना हेतु जिला स्तर पर एक कमेटी का गठन किया जाय तथा उस कमेटी के माध्यम से इच्छुक गोपालको को गोवंश उपलब्ध कराये जाय। साथ ही साथ उसका रजिस्ट्रेशन भी कराया जाय। पशुचिकित्सा अधिकारियों द्वारा नोडल अधिकारी को अवगत कराया गया कि सरकार द्वारा उपलब्ध कराये गये सीमेन को यदि निःशुल्क कर दिया जाय, तो समस्त गोपालक वरियता देंगे, जिससे फीमेल गोवंश को बढ़ावा मिलेगा, जिससे निराश्रित गोवंशों की संख्या कम हो सकेगी। नोडल अधिकारी ने कहा कि निर्माणाधीन गौशालाओं को शीघ्र पूर्ण किया जाय। सहभागिता योजना के तहत ज्यादा से ज्यादा लोगों को गोवंश दिए जाए। उन्होंने कहा कि ठंड से बचाव हेतु समस्त गौशालाओं में काऊ कोट एवं अलाव की व्यवस्था कराना सुनिश्चित करायें। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि निराश्रित गोवंश को दिए गए समय सीमा के अंदर शत प्रतिशत संरक्षित किया जाए। इसमें किसी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सभी पशु चिकित्सा अधिकारी अपने-अपने क्षेत्रों की गौशालाओं का भ्रमण कर गोवंशों का स्वास्थ्य परीक्षण लगातार करते रहे।उन्होंने कहा कि शासन के सख्त निर्देश हैं कि निराश्रित गोवंशों को संरक्षित कर संपूर्ण व्यवस्था उपलब्ध करायें।
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