पीएम आवास में जांच के नाम पर की गई खानापूर्ति, जाँच गठित दल नही कर पाई निष्पक्ष जाँच
चौरई, छिन्दवाडा। मेहगोरा ग्राम में पीएम आवास में हुई गडबडी की शिकायत के बाद जाँच करने पहुंची टीम नही कर पाई निष्पक्षता से जाँच के नाम पर की गई खाना पूर्ति भारत सरकार की प्रधानमंत्री आवास योजना में गड़बड़ी की जाँच हेतू टीम आयी ना जाने क्यो लगी है। दोषियों को बचाने में कब तक शासकीय राशि का होता रहेगा दुरूपयोग रोजगार सहायक पीयूष शर्मा के द्वारा फर्जी मकानों की फोटो अपलोड करके हितग्राही के मकान की सम्पूर्ण मिलने वाली राशि का आहरण करने का मामला प्रकाश में आया जिसकी शिकायत सरपंच एवं ग्रामीण जनो ने लिखित शिकायत की थी। जिला कलेक्टर जिला पंचायत अध्यक्ष के निर्देश में जाँच टीम आयी किंतु निष्पक्ष जाँच नही कर पाई रेखा उइके 12 वर्ष से मेहगोरा में निवासरत नही है। जाँच करने गयी टीम को भी नही मिला घर। किशनलाल के मकान को ही रेखा उइके का घर बता कर सरकार की आंख में धूल झोंकी जा रही है। न जाने किसके दबाब में आकर टीम दूसरे के मकान को रेखा उइके का मकान मानकर जाँच रिपोर्ट प्रेषित की जबकि किशनलाल का आवास 2019 एवं रेखा का आवास 2022 में स्वीकृति मिली। रेखा की सास की फोटो पुराने मकान में बताई गई जबकि ग्रामीण जनो का कहना है साँठगाँठ करके उसी मकान में क़िस्त आहरित की गई शासन कुम्भकर्ण की नींद सो रहा था। पोर्टल में कही भी रेखा की फोटो अपलोड नही है तब भी इसी तरह नरेश यादव का पूर्व में पक्का मकान होने के बाद भी उसे लाभ दिया गया जबकि भारत सरकार की गाइडलाइन के अनुसार जिनका पक्का भूखंड है उन्हें इसका लाभ नही दिया जा सकता। वह इस योजना में अपात्र की श्रेणी में रहेंगे इसके बाद भी अभयराम यादव के मकान की बीम कालम की फोटो अपलोड करके प्रथम क़िस्त आहरित की गई एवं द्वतीय क़िस्त उनके पिता के बनने वाले मकान की फोटो अपलोड की गई जाँच टीम ने रेखन के घर को ही नरेश का मानकर जाँच की गई। इसी तरह परसराम के मकान में भी जाँच की गई तो पाया कि टीन शेट जो पुराना था आज भी वैसा ही है उन्होंने आनन फानन में मकान का कार्य शुरू किया मीडिया में खबर छपने के बाद मकान का निर्माण सुरुवात की गई शासन के द्वारा दी जाने वाली गरीबों को मिलने वाली योजना का कब तक इसी तरह भ्रष्टाचार किया जाएगा और दोषियों पर कब कार्यवाही होगी अपराध की श्रेणी में आने के बाद भी रोजगार सहायक आज भी थांवरी पंचायत में कार्यरत है ग्रामीण जन का कहना है जब रोजगार सहायक कार्य नही करता तो जनपद उसे किसी अन्य पंचायत में स्थानांतरण कर दिया जाना चाहिए जो कार्य को अच्छे से कर सके। गरीबो को मिलने वाली योजना का लाभ उन तक पहुँच सके। ऐसे रोजगार सहायक को पदस्थ किया जाय। रोजगार सहायक का गरीबी रेखा सूची में होना पाया गया जबकि उसी पंचायत में गरीब निर्धन लोगो के नाम गरीबी रेखा में नही है और रोजगार सहायक के द्वारा खुद के करीबियों को शासन कि योजना का लाभ दिया जाता रहा है। इस संबंध में बरिष्ठ अधिकारी कुछ भी कहने से बच रहे है। अब देखने वाली बात ये है कि राजनीति के दबाब में कोई कार्यवाही होती है या इसी तरह शासन की राशि डकार ली जाएगी।
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