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अमिलिया कला गांव में चल रही श्रीमद्भागवत कथा का दूसरा दिन

अमिलिया कला गांव में चल रही श्रीमद्भागवत कथा का दूसरा दिन

प्रभु की लीलाओं का झांकी के माध्यम से भक्तों को कराया जा रहा है दर्शन

केएमबी संवाददाता

सुलतानपुर। दुबेपुर ब्लॉक के अमिलिया कला गांव में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन पंडित श्री ज्ञानी जी महाराज अयोध्या के मुख्य बिंदुओं से कथा का आनंद लेने के लिए भक्तों का हुजूम भारी संख्या में देखने को मिल रहा है।कथा के मुख्य यजमान पंडित श्री शिशिर कुमार शर्मा एवं श्रीमती अनीता शर्मा के सानिध्य में मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचंद्र जी की धरती अयोध्या से चलकर पधारे, बड़ी छावनी 1008 श्री जगदीश प्रसाद महंत के परम शिष्य, श्री ज्ञानी जी महाराज के मुख्य बिंदुओं से भक्तों को श्रीमद्भागवत कथा सुनाई जा रही है। कथा व्यास श्री ज्ञानी जी महाराज ने कहा कि कलियुग में श्रीमद्भागवत महापुराण श्रवण कल्पवृक्ष से भी बढ़कर है। क्योंकि कल्पवृक्ष मात्र तीन वस्तु अर्थ, धर्म और काम ही दे सकता है। मुक्ति और भक्ति नही दे सकता है। लेकिन श्रीमद्भागवत तो दिव्य कल्पतरु है यह अर्थ, धर्म, काम के साथ साथ भक्ति और मुक्ति प्रदान करके जीव को परम पद प्राप्त कराता है। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत केवल पुस्तक नही साक्षात श्रीकृष्ण स्वरुप है। इसके एक एक अक्षर में श्रीकृष्ण समाये हुये है। उन्होंने कहा कि कथा सुनना समस्त दान, व्रत, तीर्थ, पुण्यादि कर्मो से बढ़कर है। धुन्धकारी जैसे शराबी,  कवाबी, महापापी, प्रेतआत्मा का उद्धार हो जाता है। उन्होंने कहा कि भागवत के चार अक्षर इसका तात्पर्य यह है कि भा से भक्ति, ग से ज्ञान, व से वैराग्य और त त्याग जो हमारे जीवन में प्रदान करे उसे हम भागवत कहते है। इसके साथ साथ भागवत के छह प्रश्न, निष्काम भक्ति, 24 अवतार श्री नारद जी का पूर्व जन्म, परीक्षित जन्म, कुन्ती देवी के सुख के अवसर में भी विपत्ति की याचना करती है। क्यों कि दुख में ही तो गोविन्द का दर्शन होता है। जीवन की अन्तिम बेला में दादा भीष्म गोपाल का दर्शन करते हुये अद्भुत देह त्याग का वर्णन किया। साथ साथ परीक्षित को श्राप कैसे लगा तथा भगवान श्री शुकदेव उन्हे मुक्ति प्रदान करने के लिये कैसे प्रगट हुये इत्यादि कथाओं का भावपूर्ण वर्णन किया। मुख्य संयोजक पंण्डित श्री शिशिर कुमार शर्मा एवं श्रीमती अनिता शर्मा ने बताया कि कथा 26 मार्च तक प्रतिदिन दोपहर 2 से शाम 7: 30 तक होगी। उनहोंने बताया कि यज्ञ पूर्णाहुति 27 मार्च को प्रातः 9 पर एवं महाप्रसाद दोपहर एक से प्रारम्भ होगा। वही 28 मार्च शाम 5:00 से हर इच्छा तक भव्य भंडारे का आयोजन किया गया है।
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