दलदल एवं कीचड़ युक्त सड़कों से लोगों की राह हुई मुश्किल
केएमबी खुर्शीद अहमद
अमेठी। मामला विकासखंड बाजार शुकुल अंतर्गत रामलीला मैदान से है जहां रामलीला मैदान होते हुए सीआरसी इंटर कॉलेज रोड से मासूम बच्चे जाते हैं। यह रोड करीब 20 से 25 गांव को जोड़ती है। इनका सारा आवागमन इसी रोड से व्यवसाय के लिए एवं रोजमर्रा की जरूरतों के लिए इसी का सहारा लेना पड़ता है। थोड़ी सी भी बरसात हो जाने के कारण रोड पर तालाब जैसा दृश्य देखने को मिल जाता है। आए दिन रास्ते में ग्रामीण बैंक के पास भरा रहता है कीचड़ कचरा और पानी आने जाने वाले राहगीरों को बड़ी कठिनाइयां होती है। ऐसे में जब उच्च स्तर के अधिकारियों से स्थानीय लोग आवाज उठाते हैं तो, वह सुनते हुए भी अनसुना कर देते हैं। अमेठी का हाल हुआ बदहाल, इन नौनिहालों को एक अदद कब सुलभ होगा। प्रशासन इस पर कब संज्ञान लेता है, ग्रामीण अंचल के लोगों को कब इस कीचड़ से निजात मिलती है यह तो आने वाले समय में ही पता चलेगा।
दूसरा मामला जनपद के जगदीशपुर वाया सत्थिंन मखदुमपुर कला रोड का लगभग 20 किलोमीटर का सफर रोजाना करीब हजारों लोग बड़ी मुसीबत के बीच पार करते, गिरते हैं, संभालते हैं और चोटिल होते हैं। बावजूद इसी रास्ते से निकलने को मजबूर है क्योंकि इसी रास्ते से निकलना इनकी मजबूरी बन गई है। बात हो रही है जगदीशपुर से सत्थिंन छज्जूमोहद्दीनपुर से पारा शेखपुर जऊंदिलमऊ बख्तावरनगर बदलगढ़ पूरे जालिम मखदुमपुर कला हजारों की तादात में लोग रोजगार, खरीदारी करने और अपने रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए रोड का इस्तेमाल करते हैं। पूरा ग्रामीण अंचल इसी रोड पर अपना अधिकतर आवागमन करते है और चोटिल होकर किसी तरह अपने घर तब तक सफर तय करने को मजबूर है। प्रशासन द्वारा कभी भी इन हालातों पर ध्यान नहीं दिया जाता जिसका खामियाजा गरीब मजदूर उठाने को मजबूर है। प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट सिक्स लेन के दौरान डम्फरों के आवागमन से बदहाल हुई इन सड़कों का हाल लेने वाला कोई नहीं है। बरसात के चलते संपर्क मार्ग बह गए हैं। अब पैदल चलने लायक रास्ता भी नहीं बचा है। इसे मजबूरी कहें या प्रशासन की अनदेखी जो हजारों राहगीरों को एक अदद वैकल्पिक मार्ग तक नहीं मिल सका। सत्थिन चौराहे से लेकर मोहिउद्दीनपुर सिक्स लाइन तक राहगीरों के साथ साथ दुकानदारों की मुसीबत कम होने का नाम नहीं ले रही है।गर्मी में धूल और अब बरसात में कीचड़ में रहना इनकी आदतों में शुमार हो गया है। राहगीरों के आवागमन की समस्या से इनका व्यवसाय भी कहीं न कहीं कमजोर पड़ता दिखाई दे रहा है।इसे लेकर क्षेत्रवासियों में भारी आक्रोश देखने को मिल रहा है। आने वाले दिनों में सांसद व विधायक इसका खामियाजा भुगतने को तैयार रहे। आने वाले समय में इन सड़कों का काया कलप राहगीरों की परेशानी को देखते हुए प्रशासन कब अपनी चुप्पी तोड़ता हैं यह तो आने वाले समय में ही पता चलेगा।
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