जिला अस्पताल में धड़ल्ले से चल रहा है छोटी पर्ची का खेल
केएमबी न्यूज़ से ब्यूरो चीफ रूकसार अहमद के साथ जिला संवाददाता मोहम्मद अफसर की रिपोर्ट
सुल्तानपुर। प्रदेश सरकार के निर्देशों को ताक पर रखकर जिला अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टरों द्वारा मरीजों का शोषण किया जा रहा है। दूरदराज क्षेत्रों से मरीज यह सोचकर जिला अस्पताल आते हैं कि उनका बेहतर उपचार होने के साथ-साथ दवाएं भी अस्पताल से मिल जायेगी लेकिन यहां तो मंजर कुछ और ही है। यहां तो गरीबों एवं मजदूरों की जेब पर डाका डालने का काम जिला अस्पताल के चिकित्सकों द्वारा किया जा रहा है। महंगी दवाएं जिसमें चिकित्सकों को मोटा कमीशन मिलता है, छोटी पर्ची में लिखी जा रही हैं। ज्यादातर मरीज उन दवाओं को खरीद न पाने के कारण मन मसोसकर रह जाते हैं। ऐसी स्थिति में बेहतर इलाज की कल्पना करना बेमानी है। यही नहीं छोटी पर्ची लिखे जाने के बाद मरीजों को यह निर्देश दिया जाता है की दवा लाकर दिखाओ। कहीं अगर उसने गलती से प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र से दवा ले लिया हो तो चिकित्सकों द्वारा उन दवाओं को तत्काल वापस करने को कहा जाता है और मेडिकल स्टोर से दवा लाने का फरमान जारी कर दिया जाता है जहां से इन चिकित्सकों को कमीशन के रूप में मोटी रकम मिलती है जबकि प्रदेश के डिप्टी सीएम से लेकर सीएम तक का कहना है कि हमारे अस्पतालों में दवाओं की कोई कमी नहीं है तो सवाल यह उठता है कि सरकार द्वारा भेजी गई दवाये जाती कहां हैं? ध्यान देने योग्य है कि या तो डिप्टी सीएम और सीएम के अस्पताल में सारी दवाओं की उपलब्धता के दावे झूठे हैं या अस्पताल प्रशासन द्वारा गरीबों के दवाओं के मामले में बड़ा खेल खेला जा रहा है जो जांच का विषय है। इस संदर्भ में जिला अस्पताल के सीएमएस से बात की गई तो उन्होंने बताया कि सरकार की तरफ से जो भी दवाएं आती हैं उसे अस्पताल प्रशासन जनता तक पहुंचाने की पूरी कोशिश करता है और मरीजों तक पहुंचाते भी हैं। इसके बाद भी यदि कोई डॉक्टर बाहर की दवा लिखता है तो वह स्वयं अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए लिखता है। कई बार सभी डॉक्टरों को निर्देशित भी किया जा चुका है कि अनावश्यक मरीजों को बाहर की दवाएं न लिखे जाएं यदि आवश्यकता पड़ती है तो जन औषधि से दवा दिलवाया जाए।
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