शासकीय महाविद्यालय कुरई में राष्ट्रीय हिंदी दिवस मनाया गया
सिवनी। शासकीय महाविद्यालय कुरई जिला सिवनी (मप्र) में स्वामी विवेकानंद कैरियर मार्गदर्शन योजना व राष्ट्रीय सेवा योजना के संयुक्त तत्वाधान में 14 सितंबर को राष्ट्रीय हिन्दी दिवस मनाया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय प्राचार्य प्रो बी एस बघेल ने की। संस्था प्रमुख बी एस बघेल ने महाविद्यालय परिवार व उपस्थित विद्यार्थियों को हिंदी दिवस की शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए कहा कि हिंदी केवल हमारी भाषा ही नही पहचान भी है। हिंदी साहित्य विभागप्रमुख जयप्रकाश मेरावी ने कहा कि आजादी के बाद देश में हिंदी के उत्थान के लिए 14 सितंबर 1949 को हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया गया था। हिंदी भाषा को बढ़ावा देने के लिए हिंदी दिवस मनाया जाता हैं। इसी क्रम में तीजेश्वरी पारधी ने कहा कि अगर हमें हिंदी भाषा को संजोए रखना हैं तो इसके प्रचार प्रसार को बढ़ाना होगा। सरकारी कामकाज में हिंदी को प्राथमिकता देनी होगी तभी हिंदी भाषा को आगे बढ़ाया जा सकता हैं। अंग्रेजी विभागप्रमुख सारंग लडविकर ने कहा कि गांधी ने हिंदी को जनमानस की भाषा कहा था। हिंदी दिवस के अवसर पर महाविद्यालय में विविध प्रतियोगिता जैसे निबंध, स्लोगन, पोस्टर, कविता, प्रश्न मंच प्रतियोगिता आयोजित हुई। प्रश्न मंच प्रतियोगिता के विजेताओं को मंच पर ही हिंदी साहित्य की किताबें प्रोत्साहनस्वरूप प्रदान की गई। प्रतियोगिता का उद्देश्य हिंदी के पठन-पाठन को बढ़ावा देना था। इस प्रतियोगिता में महाविद्यालय के विद्यार्थी जिनमे आस्था डहरवाल, किममी पराते, अभिषेक नागवंशी, स्वाति डहरवाल, कुमारी, शिफा अंजुम, दुर्गा गिरी, रेहाना खान, शहनाज खान, निकिता नागवंशी, शैलेश भलावी, चंद्रिका रजक इत्यादि विद्यार्थियो ने पूरे मनोयोग, ईमानदारी, निष्ठा से प्रतियोगिता में सहभागिता की। प्रतियोगिता को सफल बनाने में जयप्रकाश मेरावी, डॉ श्रुति अवस्थी, तीजेश्वरी पारधी, डॉ कंचनबाला डावर, डॉ श्रुति अवस्थी, सारंग लडविकर की महत्वपूर्ण भूमिका रही। हिंदी दिवस के इस पावन अवसर पर प्रशिक्षण व नियोजन अधिकारी प्रो. पंकज गहरवार ने उपस्थित समस्त स्टॉफ एवं सभी विद्यार्थियों को हिंदी दिवस की शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए कहा कि हिंदी एक अदभुत भाषा है। हिंदी ने विश्व मंच पर न सिर्फ अपनी श्रेष्ठ पहचान बनाई है अपितु वह उस पर मजबूती से खड़ी भी है। एक अच्छी संपर्क भाषा होने के सारे गुण हिंदी में विद्यमान है।" कार्यक्रम के अंतिम पड़ाव पर प्रो गहरवार ने प्रतियोगिता में सहभागिता करने वाले प्रतियोगियों का हौसला बढ़ाते हुए हिंदी के वरिष्ठ साहित्यकार जयशंकर प्रसाद कवि की पंक्तियाँ जो मानव की अदम्य जिजीविषा, अकूत आत्मविश्वाश, संघर्ष करने की अटूट क्षमता व निरन्तर विकास के जज्बे को रेखांकित करती है को मंच पर साझा किया- "इस पथ का उद्देश्य नहीं है श्रान्त भवन में टिक जाना, किन्तु पहुँचना उस सीमा तक जिसके आगे राह नहीं है।"
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