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12रोजा जश्ने ईद मिलादुन्नबी स0 आ0 वसल्लम का पांचवां शानदार इजलास



12रोजा जश्ने ईद मिलादुन्नबी स0 आ0 वसल्लम का पांचवां शानदार इजलास

ज़ेरे सदारत हजरत मौलाना मुहम्मद शोएब साहब की सदारत में मुंक्किद किया गया,

केएमबी खुर्शीद अहमद
जिसका उन्वान्न जहेज़ और निकाह पर मबनी प्रोग्राम पर रोशनी डाली गई,नात खवां हाफिज शाह मोहम्मद सत्थिनवी रहे,
हर साल की तरह इस साल भी अमेठी के बाजार शुक्ल के ग्राम पंचायत सत्थिन की सर ज़मीन पर 12 रोजा ईद मिलादुन्नबी स0 आ0 व 0का इनेकाद किया गया
जिसका पांचवा शानदार इजलास की शुरुवात कलाम पाक की तिलावत से किया गया जिसका सर्फ हासिल किया हाफिज अकबर अंसारी साहब ने अपनी प्यारी ज़बान से कलाम पाक की तलावत की,नाते पाक को अपनी प्यारी आवाज़ में गुनगुना कर सारे जलसे को नराये तकबीर अल्लाहु अकबर से सारा इजलास गूंजता रहा,  सारा जलसा मानो हाफिज शाह मोहम्मद का बड़ी बेसब्री से इंतजार किया जा रहा हो,आखिर में अपनी रूहानी तकरीर से पूरे जलसे पर छा जाने वाले हजरत हाफिज व कारी मौलाना शोएब साहब ने निकाह और जहेज़ के बारे में लाजवाब तकरीर का मुज़ाहरा किया 1,1, चीजें कुरान और हदीस की रोशनी में बयान फरमाया दहेज जैसी कुप्रथा पर रोशनी डाला, मौलाना साहब ने अपना उंवान गरीबों मजलूमों बेसहारों यतीमो की आवाज़ उनकी परेशानी में उनका हक छीनने वालों निकाह  जैसी अहेम 
सुन्नत की रोशनी में हजरत ने फ़रमाया निकाह एक सुन्नत है और इबादत है इबादत में नाच गाना ये कहां से लोगों ने रायज़ कर लिया आज एक रस्म और पैदा हो रही है लोग निकाह महफिलों में पढवाते हैं महफिलों में निकाह सुन्नत नहीं है निकाह मस्जिदों में करना मुस्ताहब है अपने निकाह मस्जिदों में पढ़ा वाएं निकाह का एक मकसद और भी है अस्मत (आबरू) की हिफाजत करना जब नौजवान निकाह कर लेता है तो उसकी इज्जत और आबरू की हिफाजत हो जाती है इसके कदम डगमगा ते नहीं वह सिर आते मुस्तकीम पर रामजन हो जाता है अल्लाह के नबी ने शाद फरमाया वह नौजवान सबसे ज्यादा खूबसूरत है जिसको जवानी मिले अभी शादी नहीं हुई है मगर वह सिराते मुस्तकीम पर गामजन है अल्लाह के बताए हुए रास्ते पर चलने वाला कयामत में सबसे ज्यादा खूबसूरत वही नौजवान होगा आगे भी हजरत ने बताया फालतू चीजों के लिए आपके पास हर सामान और पैसा मुहैया है पर निकाह में आई हुई बीवी का हक मैहर के लिए तुम्हारे पास पैसे नहीं है जो असल में जरूरी है तुम्हें बताया जाता है तुम्हारे समझ में नहीं आता हक मेहर जो वाजिब है आपने तर्क कर दिया फुजुल चीजों  को आपने शामिल कर लिया अब बताओ जो शुरुआती तकरीब जहां इबादत की नियत से किया जाता है जहां अल्लाह की रहमत नाजिल होती है जहां अल्लाह की बरकत ए उतरती है वहां आपने नाचने वालों को बुला लिया गाने वालों को बुला लिया बैंड बाजे को बुला लिया बताओ उस तकरीब में अल्लाह की रहमत ए उतरेंगी हरगिज़ नहीं उतरेंगी उस जगह शैतान का डेरा होगा शैतान का पहरा हो जाएगा जब हमारी तकरीब की शुरुआत शैताननियत से होगी तो हमें अच्छाइयां कहां नसीब होगी फिर आगे यही होता है साल गुजरा महीने गुजरे नाइत्तिफकिया पयदा हुई झगड़े होने लगे फाइलें बनने लगी पुलिस केस हो गया अदालतों में मामला पहुंचा दिया गया मुकदमा हो गए बात बिगड़ी तलाक की नौबत आ गई हमारी बेटी जो कल ब्याही गई थी वापस हमारे घर में फिर वापस आ गई इसलिए तकरीब और रसूमात् से दूर रहो,निकाह इबादत समझकर कर लो हजरत ने फरमाया दीन मुश्किल नहीं है दीन पर चलना बहुत आसान है हमने अपने हाथों से इसे मुश्किल बना लिया आज दसियों कुंटल गोश्त कटाने की क्या जरूरत है, 500 बराती ले जाने की क्या जरूरत है इतना डेकोरेशन कराने की क्या जरूरत है ना कहीं बरात का तसव्वुर है न दावत का तसव्वुर है ना जहेज की बात कही है यह सारी चीजें हम कहां से ले आए हमें इस पर गौर और फिक्र करना चाहिए इन वाहियात रस्मों से बचे आगे आप खुद ही समझदार हैं अल्लाह हम सब को कहने से ज्यादा अमल करने की तौफीक अता फरमाए सलातो सलाम के बाद हजरत मौलाना सलमान खान लतीफी ने पूरे मुल्क के लिए अमन चैन की दुआ के साथ महफिल को खत्म किया और सारे मुल्क में अमन चैन की दुआएं की, बड़ी तादाद में गांव के लोगों ने इस तकरीब में शिरकत की जिसमें ग्राम प्रधान भाई इफ्तिखार अहमद(गुड्डू) ने भी शिरकत की ईद मिलादुन्नबी का प्रोग्राम सत्थिन के मोहल्ला गनीपुर में मूंक्किद किया गया था ,
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