अस्पताल प्रशासन के ढुलमुल रवैए के चलते जिला अस्पताल में मरीजों की दिख रही हैं लम्बी-लम्बी कतारें
केएमबी रुखसार अहमद
सुल्तानपुर। जिला चिकित्सालय बदहाली के आँसू बहाने को मजबूर हो गया है। मौजूदा समय जिला अस्पताल की हालत बद से बद्तर नजर आ रही है। बताते चले की जिला अस्पताल की ओ.पी.डी. तो सुबह 8 बजे से 2 बजे तक है लेकिन कुछ डाक्टर सुबह के 10 बजे तक भी अपनी ओ.पी.डी. कक्ष में नजर नही आते जिसके फलस्वरूप दूर दराज से आए हुए मरीज दर दर की ठोकरें खाने को मजबूर हो जाते हैं। जैसे तैसे डाक्टर आ भी जाते है तो उपचार के लिए पहुंचे मरीजों से ऐसा व्यवहार करते है कि मानो जिला अस्पताल के डाक्टर मरीजों पर बहुत बड़ा एहसान कर रहे हैं। वही दूसरी तरफ जिला अस्पताल में मरीजों को चिकित्सक द्वारा बाहर की दवा लिखने का सिलसिला भी जोरों पर चल रहा है। अस्पताल के मरीजों को बाहर की दवा के साथ साथ प्राइवेट प्रैक्टिस का सिलसिला भी जोरों से चल रहा है। जिला अस्पताल में जनपद के कोने कोने से मरीज इस उम्मीद से आते हैं कि एक रुपया के पर्चे पर डाक्टर को दिखाकर प्रदेश सरकार द्वारा मरीजों को मिल रही मुफ्त दवा से ठीक होंगे लेकिन बीमारी से ग्रसित मरीज को क्या पता की जिला अस्पताल में मरीजों के लिए बैठे डाक्टर अपनी खुद की दुकान चलाने में मशगूल है। उन्हें सरकार की सरकारी दवा नहीं लिखना है उन्हें तो बाहर के निजी मेडिकल स्टोर की दवाए लिखकर मोटी कमीशन जो लेना हैं। वही बात करते है जिला अस्पताल के जांच केन्द्र की जहाँ मरीजों की ऐसी लाइन लगती हैं जिसे देखकर ऐसा लगता हैं जैसे रेलवे के टिकट घर में यात्री टिकट की लाईन में खड़े हैं। यदि जिला अस्पताल इसी तरह अपनी बदहाली पर आंसू बहाता रहा तो योगी सरकार की निशुल्क मरीजों के इलाज कराए जाने का सपना कैसे साकार होगा बड़ा सवाल है।
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