स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के रहमो करम पर जिले में धड़ल्ले से चल रहे हैं अवैध पैथोलॉजी व नर्सिंग होम
केएमबी रूकसार अहमद
सुल्तानपुर। जिले में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से धड़ल्ले से गैर पंजीकृत एवं नियम विरुद्ध अवैध पैथोलॉजी एवं नर्सिंग होम धड़ल्ले से संचालित हो रहे हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री से लेकर स्वास्थ्य मंत्री तक भले ही गरीब जनता के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित हो लेकिन सरकार के नुमाइंदे सरकार की मंशा को पलीता लगाने से बाज नहीं आ रहे हैं। मामला जिले के स्वास्थ्य महकमे से जुड़ा है जहां सरेआम कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। स्वास्थ्य विभाग की मिलीभगत से जिले में सैकड़ों की संख्या में अवैध नर्सिंग होम के साथ-साथ अवैध पैथोलॉजी डायग्नोस्टिक सेंटर संचालित हो रहे हैं। ज्यादातर नर्सिंग होम बिना रजिस्ट्रेशन के संचालित किए जा रहे हैं। इन नर्सिंग होम में डॉक्टरों की डिग्री का भी कोई अता पता नहीं रहता जिसके चलते आए दिन मरीजों के साथ कोई न कोई अप्रिय घटना घटती रहती है लेकिन स्वास्थ्य महकमा इन पर कोई कार्यवाही नहीं करता। यही हाल जिले के अवैध रूप से संचालित डायग्नोस्टिक सेंटर और पैथोलॉजी का है। ज्यादातर पैथोलॉजी स्वास्थ्य महकमे के रहमों करम पर बिना रजिस्ट्रेशन के संचालित हो रही है। अगर डायग्नोस्टिक सेंटर की बात करें तो इनके यहां मरीजों का अल्ट्रासाउंड तो धडल्ले से किया जा रहा है लेकिन अधिकतर डायग्नोस्टिक सेंटर में रेडियोलॉजिस्ट नहीं है। ऐसे में मरीजों को भारी भरकम रकम अदा करने के बाद भी उन्हें बेवकूफ बनाया जाता है, लेकिन स्वास्थ्य महकमा इन पर कार्यवाही करने के बजाए कागजी खानापूर्ति में लगा रहता है। अभी हाल में बीते 10 नवंबर को जिला अस्पताल के सामने कुछ नर्सिंग होम व पैथोलॉजी पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा छापेमारी की गई थी। छापेमारी के बाद बाकायदा अवैध पैथोलॉजी संचालकों एवं नर्सिंग होम व क्लीनिक संचालकों को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा गया था लेकिन आज तक उन पर कार्यवाही नहीं की गई। जिन पैथोलॉजी संचालकों, क्लीनिक संचालकों व नर्सिंग होम को स्वास्थ्य महकमे द्वारा नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा गया था वे सब आज भी निर्बाध रूप से संचालित हो रहे जिससे स्वास्थ्य महकमे की कार्यशैली पर सवाल खड़ा होना लाजमी है। प्राप्त जानकारी के अनुसार इस तरीके की छापेमारी स्वास्थ्य महकमे द्वारा जिला मुख्यालय सहित जिले के अन्य क्षेत्रों में मारी जाती रहती है लेकिन उन पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं होती है इसका जवाब तो स्वास्थ्य महकमा ही दे सकता है।
बीते 12 दिसंबर को जिला अस्पताल में एक अजीबोगरीब कारनामा सामने आया। शाहगंज निवासी यासमीन बानो के पेट में दर्द होने के कारण जिला अस्पताल में दिखाया गया। डॉक्टर की सलाह के अनुसार जिला अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट न होने के कारण निजी पैथोलॉजी से अल्ट्रासाउंड कराया गया। अल्ट्रासाउंड की रिपोर्ट देखते ही डॉक्टर रमेश कुमार ने रिपोर्ट को गलत बताते हुए पुनः अल्ट्रासाउंड कराने के लिए एक दो पैथोलॉजी का नाम बताया। मरीज के द्वारा कहा गया डॉक्टर साहब हम लोग गरीब आदमी हैं बार-बार कहां अल्ट्रासाउंड करा पाएंगे। डॉक्टर रमेश मरीज यासमीन की बात सुनकर भड़क गए और ऑपरेशन करने से मना कर दिया। इसके बाद मरीज एवं उसके परिजन सीएमएस से मिलकर पूरे प्रकरण से अवगत कराया। सीएमएस के हस्तक्षेप के बाद आज 13 दिसंबर दिन मंगलवार को यासमीन का ऑपरेशन होना सुनिश्चित किया गया था। इस संबंध में सीएमएस एवं डॉ रमेश कुमार से वार्ता की गई तो उन्होंने बताया मरीज ऑपरेशन के लिए अस्पताल नहीं आया तो उसका ऑपरेशन कैसे किया जा सकता है।
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