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आवारा पशुओं का किसानी पर कहर, ठंडी में भी किसनों के छूट रहे हैं पसीने

आवारा पशुओं का किसानी पर कहर, ठंडी में भी किसनों के छूट रहे हैं पसीने

केएमबी रुखसार अहमद

सुल्तानपुर। छुट्टा जानवर एवं आवारा पशु किसानों की फसल पर कहर बरपा रहे हैं। किसानी पर एक तरफ प्रकृति की मार तो दूसरी तरफ बची खुची फसल को छुट्टा एवं आवारा जानवर घटक जा रहे हैं जिससे किसान हैरान एवं परेशान हो गया है। धनपतगंज ब्लॉक के आस पास के क्षेत्र में छुट्टा पशुओं का आतंक इस कदर व्याप्त है कि किसानों को इस भीषण ठंड में भी पसीने छूट रहे हैं। रबी की फसल का जमाव शुरु होते ही फसलों को छुट्टा पशुओं से बचाना किसानों के लिए अब मुश्किल हो रहा है। क्षेत्र के किसान फसलों की सुरक्षा अब बाड़ के सहारे करने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन छुट्टा पशुओं का झुंड बाड़ के साथ फसल को भी बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्र के किसान तेजी से बढ़ रहे छुट्टा पशुओं से फसल बचाने के लिए तरह-तरह की तरकीब लगा रहे हैं किन्तु सब बेकार साबित हो रहा है। रबी के मौसम में क्षेत्र की प्रमुख फसल गेहूं, सरसो, मटर व सब्जी की सुरक्षा अन्नदाता कहीं बाड़ बना कर तो कहीं मचान बना कर रहे हैं लेकिन इन पशुओं की बढ़ती संख्या ने अन्नदाताओं के सामने मुसीबत खड़ी कर दी है। ये जिधर से झुंड बनाकर निकल रहे हैं बाड़ के साथ-साथ फसल को भी बर्बाद कर दे रहे हैं। क्षेत्र के धनपतगंज निवासी ताड़कनाथ मिश्र का कहना है कि अब फसलों की सुरक्षा राम भरोसे है। फसलों की सुरक्षा के सारे उपाय फेल हैं। गेहूं, सरसो, आलू, मटर आदि की खेती करना अब इनके कारण भारी पड़ रहा है। वहीं किसान  कहते हैं कि खेतों में बाड़ और मचान बनाने के बावजूद भी फसलें बच नहीं पा रही हैं। कड़ाके की ठंड में रात को भी फसलों की निगरानी करनी पड़ रही है किन्तु मौका पाते ही दर्जनों की संख्या में झुंड बनाकर चल रहे छुट्टा पशु फसल को बर्बाद कर दे रहे हैं। बघराजपुर निवासी किसान दीपचंद्र दूबे कहते हैं कि किसानों की समस्याओं को कोई नहीं सुनने वाला है। किसानों के आय का प्रमुख श्रोत यही फसल है। पहले नीलगाय, सूअर जैसे जंगली जानवर ही फसल नुकसान करते थे अब तो छुट्टा पशुओं का आतंक सपनों पर पानी फेर रहा है। रात को खेतों में छुट्टा पशुओं का झुंड आता है और खड़ी फसल को खराब कर पैरों से रौंदकर चले जाते हैं। सुरक्षा के लिए खेत के चारों ओर तारों की बाड़ लगा रखी है लेकिन पशुओं के झुंड तारों की बाड़ को लांघकर खेतों में घुस जाते हैं। जब तक खेत में पहुंचते है तब तक पशुओं का झुंड फसल को पूरी तरह नष्ट देता है। फसलों को जंगली जानवर रात में झुंड़ में आकर बर्बाद कर दे रहे हैं। अब तो स्थिति इतनी खराब हो गई है कि किसान रात ही नहीं बल्कि दिन में भी अपने फसलों की रखवाली कर रहे हैं। परेशान किसानों ने बताया कि यह समस्या एक दो दिन नहीं बल्कि कई महीनों से है।
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