सर्पदंश से हो रही मृत्यु की रोकथाम हेतु क्लीनिकल मैनेजमेंट एवं पैरामेडिकल ट्रेनिंग कार्यशाला का आयोजन
‘’सर्पदंश रोके, जीवन बचाएं, लोगो को जागरूक करें सर्पदंश रोकने में मददगार बनें’’
सिवनी। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. राजेश श्रीवास्तव ने बताया कि कलेक्टर डॉ. राहुल हरिदास फटिंग के निर्देशन में जिले के विकासखंडो में हो रहे सर्पदंशो के प्रकरण से बचाव एवं उपचार हेतु स्नेकबाईट हीलिंग एंड एजुकेशन सोसायटी के विषय विशेषज्ञों के द्वारा क्लीनिकल मैनेजमेंट एवं पैरामेडिकल ट्रेनिंग का आयोजन आज दिनांक 15 दिसम्बर को जी.एन.एम. प्रशिक्षण केंद्र जिला चिकित्सालय परिसर में किया गया। उक्त कार्यशाला में डॉ. प्रियंका कदम प्रेसीडेंट एण्ड फाउंडर मुंबई, डॉ. मोहम्मद यूनूस प्रोफेसर एंड हेड ट्रामा एंड इमरजेंसी मेडिसिन एम्स भोपाल एवं डॉ. भूपेश्वरी पटेल एम.डी.असिस्टेंट एम्स भोपाल के द्वारा स्नेकबाईट से संबंधित क्लीनिक मैनेजमेंट से संबंधित जानकारी प्रदाय की गई। साथ ही सर्पदंश से बचाव एवं सर्पदंश के व्यवहार के संबंध जानकारी दी गई। उन्होंने बताया कि सांप के काटने पर एम्बुलेंस को बुलाएं, रोगी को स्थिर रखें। सर्पदंश वाले हिस्से में सूजन हो सकती है, इसलिए बेल्ट, गहने, घड़ी, अंगूठिया आदि उतार दे। यदि एंबुलेंस आने में देर हो रही है तो किसी भी साधन का प्रयोग कर रोगी को करीबी अस्पताल ले जाए। पीडि़त को स्ट्रेचर पर बाई करवट लिटांए, दाहिना पैर मुड़ा हुआ हो और हाथ से चहरे को सहारा दे, इससे मरीज का दम नही घुटता और वह टीक से सांस ले पाएगा। सर्पदंश का हर विवरण चिकित्सक को दे केवल विषरोधक (एंटीवेनम) ही इसका उपचार है। घबराएं नही सर्पदंश की चिकित्सा हो सकती है, झाड़-फूंक न करवाएं, सांप को मारने या पकड़ने का प्रयास न करें, सर्पदंश वाले हिस्से को न कांटे औ ना ही चूसे, सर्पदंश वाले स्थान पर रक्तरोधी पट्टी न बांधे, बर्फ का इस्तेमाल न करें और न ही मालिश करें क्योकि इससे और भी नुकसान होता है। खुद ही इलाज ना करें और ना ही किसी जड़ी-बूटी का प्रयोग करें इससे कोई लाभ नही होता। इसके अतिरिक्त उन्होने सर्पदंश से बचाव के संबंध में बताया कि बाहर निकलते समय पैरों को ढकने वाले जूते पहने, रात में हमेशा टॉर्च का प्रयोग करें, जहा आप हाथ या पैर रखें उस जगह को पहले देखे, फर्श पर न सोएं और मच्छरदानी को अच्छी तरह से दबा लें। घर और आसपान के परिवेश को साफ सुथरा और व्यवस्थित रखें, चूहों की जनसंख्या को नियंत्रित करें। उक्त कार्यशाला में कलेक्टर डॉ. राहुल हरिदास फटिंग, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत पार्थ जायसवाल, जिला स्वास्थ्य अधिकारी-2 डॉ. आर.के.धुर्वे, जिला कार्यक्रम प्रबंधक दिनेश चौहान, जिला क्म्यूनिटी मोबिलाईजर संदीप श्रीवास, उपजिला विस्तार एवं माध्यम अधिकारी शांति डहरवाल, एएनएम कुसुम चंद्रवंशी, डीपीएचएनओ एम.एन.जोसफ तथा समस्त खंड चिकित्सा अधिकारी, समस्त चिकित्सा अधिकारी, सिस्टर ट्यूटर, स्वास्थ्य केंद्रो में कार्यरत नर्सिंग ऑफिसर तथा ए.एन.एम. उपस्थित हुये।
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