आइए जानते हैं कि आखिर क्या है चांद का ईद से रिश्ता
केएमबी ब्यूरो रुखसार अहमद
ईद ऐसा त्योहार है, जो चांद को देखकर ही मनाया जाता है। चांद की स्थिति को हमेशा मुस्लिम समुदायों में मतभेद सामने आ जाता है, जिसकी वजह से दो-दो ईद हो जाती हैं। भारत में इस बार ईद 22 अप्रैल को मनाई जायेगी। आखिर ऐसा क्यों होता है? ईद और चांद का क्या रिश्ता है। ईद उर्दू कैलेंडर यानि हिजरी के हिसाब से मनाई जाती है। उर्दू कैलेंडर का 9वां महीना रमज़ान का होता है जो आमतौर पर 29 या 30 दिनों का होता है। इसके बाद 10वां महीना शव्वाल शुरू होता है, जिसकी पहली तारीख को ही ईद मनाई जाती है। उर्दू कैलेंडर का हर महीना चांद को देखकर शुरू होता है। जब नया चांद दिखाई देता है तो ही नया महीना शुरू होता है। इसी नए चांद को देखकर ईद (शव्वाल) का महीना शुरू होता है। कभी-कभी इसी चांद को लेकर मुसलमानों में मतभेद हो जाता है, जिसकी वजह से लोग अलग अलग धड़ों में बंट जाते हैं और दो ईद हो जाती है। अक्सर ईद के चांद को लेकर मुसलमानों में गफलत रही है। पृथ्वी जब सूर्य का चक्कर लगाती है तो एक चक्कर पूरा होने में 365 दिन और कुछ घंटे लगते हैं। जिसकी वजह से 365 दिनों वाला साल हर चौथे वर्ष लीप ईयर हो जाता है। तब फरवरी में एक दिन बढ़ जाता है। लीप ईयर का साल 366 दिनों का हो जाता है। ठीक इसी तरह चांद भी पृथ्वी का चक्कर लगाता है। विज्ञान के अनुसार अगर पृथ्वी अपनी जगह ठहरी रहे। चांद परिक्रमा करता रहे तो 27 दिन में चांद पृथ्वी का एक चक्कर पूरा कर लेता है, लेकिन चांद के साथ साथ पृथ्वी भी घूमती है, जिसकी वजह से पृथ्वी और चांद का एक चक्कर 29 दिन और कुछ घंटों में पूरा होता है। एक चक्कर को पूरा हो जाने के बाद जो चांद दिखता है उसे नया चांद कहा जाता है।
चांद से रोशन हो ईद तुम्हारी,
हमको नसीब हो दीद तुम्हारी।
खुशी से भर जाए आंगन तुम्हारा,
हर शिकायत हो दूर तुम्हारी।
बस यही है दुआ हमारी।
आप सभी साथियों को ईद की दिली मुबारकबाद।
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