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आजादी के साथ दशक बाद भी डूब क्षेत्र में दम तोड़ता विकास, विकास को तरसती है आंखें

आजादी के साथ दशक बाद भी डूब क्षेत्र में दम तोड़ता विकास, विकास को तरसती है आंखें 

केएमबी नीरज डेहरिया

 सिवनी। एकतरफ देशभर में आजादी के 75वें वर्षगांठ के उपलक्ष्‌य में अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। आजादी के बरसों बाद आ‌ज भी डूब क्षेत्र के दर्जनों गांव विकास की बाट जोह रहे हैं। गांवों की दशा दयनीय बनी हुई है, जिसके सुधार के लिए प्रशासन व सरकार ने अब तक कोई ध्यान नहीं दिया।आजादी के छह दशक बीत चुके हैं लेकिन बरगी बांध डूब क्षेत्र के दर्जनों गांवों में विकास की किरन नहीं पहुंची है। ग्रामीण नारकीय जीवन बिताने को मजबूर हैं। हर बार विकास की आस में ग्रामीण वोट देते हैं लेकिन कोरे आश्वासन के अलावा उन्हें कुछ नहीं मिला। वहीं आज भी बरगी बांध डूब क्षेत्र के कई गांव ऐसे हैं जहां के वाशिंदे समस्याओं से जकड़े हुए हैं।हम बात कर रहे हैं सिवनी जिले के घंसौर तहसील मुख्यालय से करीब 32 किमी दूर बरगी बांध डूब क्षेत्र के बीजासेन सहित दर्जनों गांव के लोग वर्षों से समस्याओं से जूझ रहे हैं। इन्हें सुलभ जीवनयापन के लिए कोई सुविधा उपलब्ध नहीं हैं एक ओर जहां डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया और मेक इन इंडिया बनाने को कवायद चल रही है। वहीं दूसरी ओर बरगी बांध डूब क्षेत्र क्षेत्र के दर्जनों गांव तक पहुंचने से पहले ही ये तमाम योजनाएं दम तोड़ती नजर आ रहीं हैं। जहां टूजी, थ्रीजी, फोरजी के बाद अब फाइव जी से भी आगे बढ़कर आधुनिकरण करने की तैयारी चल रही है। बावजूद बीजासेन क्षेत्र के दर्जनों गांव के ग्रामीणों को यह भी नहीं पता कि आखिर डिजिटल इंडिया किस चिड़िया का नाम है। इन गांवों में आज तक नेटवर्किंग सुविधा नहीं पहुंच सकी है। डिजिटल युग में यहां के लोग कई मूलभूत सुविधाओं के अभाव में अपनी जिंदगी का गुजारा करते हैं। यह हाल क्षेत्र के बीजासेन गाड़ाघाट, करहैया, अनकवाडा जैसे दर्जनों गांव है जहा के ग्रामीण आज भी मूलभूत सुविधाओं से महरूम है। गांव में नेटवर्क नहीं होने से ऐसा लगता है मानो यहां के ग्रामीण 21 सदी के आधुनिक युग में नहीं बल्कि 18वीं सदी में जी रहे हों। यह सोचनीय और चिंताजनक बात है। यह सरकार के डिजिटलाइजेंशन पर हथौड़े से कम नहीं है। आज तक नहीं पहुंचे कोई नेता मंत्री या आला अधिकारी। तमाम प्रकार के मूलभूत सुविधाओं से महरूम ग्रामीणों ने तीखा प्रहार करते हुए जनप्रतिनिधियों और प्रशासन पर जमकर आरोप लगाया है। ग्रामीणों ने कहा कि जब चुनाव का समय होता है तब तमाम प्रकार के नेता मंत्री के कार्यकर्ता गांव तक पहुंचते है वोट की अपील कर तमाम सुविधा पहुंचाने का वायदा करते है। बावजूद आज तक सुविधाओं के जगह सिर्फ झूठा आश्वासन और झुनझुना ही प्राप्त हुआ है, इतना ही नहीं ग्रामीणों ने प्रशासनिक आला अफसरों पर भी पक्षपात का आरोप लगाया है।ग्रामीणों का कहना है कि आजतक किसी बड़े आला अफसर ने गांव में कदम नहीं रखा, तो ऐसे में जो अधिकारी, नेता इस गांव तक नहीं पहुंचे तो हमारी समस्या का निराकरण कैसे करेंगे। बरगी बांध डूब क्षेत्र के बीजासेन के आसपास हाई स्कूल की शिक्षा के लिए आना-जाना 40 किलोमीटर का सफर तय करके गोरखपुर हाई स्कूल जाना पड़ता है। डूब क्षेत्र के हाईस्कूल न होने से बच्चों में शिक्षा का अभाव है जिन बच्चों के हाथों में किताब पेंसिल होना चाहिए वह बच्चे आज बाल मजदूरी करने को मजबूर हैं। बड़ी संख्या में नागपुर और जबलपुर पलायन कर रहे हैं।आदिवासी समाज का शिक्षित न होना बहुत बड़ी समस्या है। आदिवासी समाज का शिक्षा से कम सरोकार होना उनके कई समस्या से जुड़ा हुआ है। हजारों वर्षों से जंगलों और पहाड़ी इलाकों में रहने वाले आदिवासियों को हमेशा से दबाया और कुचला जाता रहा है जिससे उनकी जिन्दगी अभावग्रस्त ही रही है। ऋणग्रस्तता, भूमि हस्तांतरण, गरीबी, बेरोजगारी, स्वास्थ्य आदि कई समस्यायें हैं जो शिक्षा से प्रभावित होती हैं। केंद्र सरकार आदिवासियों के नाम पर हर साल हजारों करोड़ रुपए का प्रावधान बजट में करती है। इसके बाद भी 7 दशक में उनकी आर्थिक स्थिति, जीवन स्तर में कोई बदलाव नहीं आया है। स्वास्थ्य सुविधाएं, पीने का साफ पानी आदि मूलभूत सुविधाओं के लिए वे आज भी तरस रहे हैं।आजादी के सात दशक बीत चुके हैं लेकिन बरगी बांध डूब क्षेत्र के दर्जनों गांवों में विकास की किरन नहीं पहुंची है। ग्रामीण नारकीय जीवन बिताने को मजबूर हैं। हर बार विकास की आस में ग्रामीण वोट देते हैं लेकिन कोरे आश्वासन के अलावा उन्हें कुछ नहीं मिला। गांव वर्षों से उपेक्षा का दंश झेल रहे हैं। जनप्रतिनिधियों द्वारा गांव के विकास में कोई सहयोग नहीं किया जा रहा, ग्रामीण सूरज बर्मन।विकास के दावे भले ही सरकार करती हो, लेकिन हकीकत कुछ और ही है. बरगी बांध डूब क्षेत्र के दर्जनों गांव के लोग आज भी  सरकारी योजनाओं और मूलभूल सुविधाओं से वंचित हैं. वहां के लोग आज भी विकास की राह देख रहे हैं, लेकिन लगता है कि विकास रास्ता ही भटक गया है,वहीं सरकार और सरकारी महकमा मौके पर विकास की बुलंद इमारत खड़ी करने की बात भले करें, लेकिन यहां के गांव एक उदाहरण है जहां अभी तक विकास की बुनियाद नहीं रखी गई. दशकों से विकास को लेकर जिम्मेवार नजरों से दूर और अछूते यहां के गांव आज भी सबकी नजरों से ओझल ही रहते है,
 राजकुमार सिन्हा संयोजक बरगी बांध विस्थापित एवं प्रभावित संघ।एक तरफ जहाँ सरकारी स्तर से नित्य प्रति विकास के बड़े-बड़े दावे किये जा रहे हैं वहीं दूसरी तरफ लखनादौन। बिधानसभा क्षेत्र अंतर्गत बरगी बांध डूब क्षेत्र के दर्जनों गाँव विकास से अछूते बने हुए हैं।
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