योगी सरकार के मिशन हरियाली को धता बता विद्युत महकमा चलवा रहा है हरे वृक्षों पर आरे

योगी सरकार के मिशन हरियाली को धता बता विद्युत महकमा चलवा रहा है हरे वृक्षों पर आरे

 केएमबी ब्यूरो
सुल्तानपुर। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति को धता बताते हुए जिले के विद्युत महकमे के अधिकारी बेरहमी से हरे पेड़ों को काटकर पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं। पर्यावरण को बचाने के लिए सरकार वृक्षारोपण के लिए हर वर्ष जिले में हरियाली पर करोड़ों रुपए खर्च कर रही है। अक्सर देखा यही गया है कि वृक्षारोपण के लिए सरकार द्वारा भेजी गई धनराशि वन विभाग द्वारा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाता है। ऊपर से हर क्षेत्र में पुलिस व वन विभाग की मिलीभगत से हरे भरे पेड़ों को काटकर लकड़कट्टे पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं। ऐसा ही एक ताजा मामला केएनआई उपकेंद्र से सटे केएनआई बांध का सामने आया है जहां 33 केवीए विद्युत लाइन तार के नीचे लगे वन विभाग के दर्जनों पेड़ों को जेई द्वारा बेरहमी से कटवा दिया गया।पेड़ों को काटे जाने का वीडियो व विद्युत विभाग के एक कर्मचारी और वन विभाग के संविदा कर्मी का पेड़ों के काटे जाने के संबंध में बातचीत का ऑडियो भी वायरल हो रहा है। यह घटना बीते 17 अगस्त के आसपास की बताई जा रही है। आश्चर्य की बात यह है कि इस मामले में अभी तक वन विभाग के कर्मचारी व अधिकारियों ने चुप्पी साध रखी है जबकि वन विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों की माने तो बिना वनविभाग की अनुमति विद्युत विभाग द्वारा पेड़ की टहनी तक नहीं काटी जा सकती। अति आवश्यक हो तो वन विभाग से अनुमति लेकर विद्युत विभाग तारों के नीचे लगे पेड़ों की टहनियों काट सकता है लेकिन यहां तो बिजली विभाग द्वारा धड़ल्ले से बिना अनुमति के हरे भरे पेड़ों को जड़ों से ही काटकर नष्ट कर दिया जा रहा है और बिजली विभाग का कर्मचारी व वन संविदा कर्मी को बाकायदा फोन पर धमकियां दे रहा है। कह रहा है पूरे वन विभाग की लाइट कटवा दी जाएगी। पेड़ों को जेई साहब ने कटवाया है जो करना है कर लो। अगर इसी तरह हरे पेड़ों की कटान जारी रही तो आने वाले समय में जनजीवन के लिए भारी खतरा हो सकता है क्योंकि प्रकृति ईश्वर की एक ऐसी देन है जिससे मानव को उसकी जरूरत का हर समान प्राप्त होता है। सबसे ज्यादा मनुष्य जिस चीज पर निर्भर है वह वृक्ष है क्योंकि पेड़ मनुष्य के साथ-साथ अन्य जीव जंतुओं को भी जीवन जीने के लिए आक्सीजन प्रदान करते हैं। वृक्ष के बिना इस धरा पर जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती। ऐसे में हरे भरे पेड़ों कीकाटन निश्चित रूप से पर्यावरण के लिए हानिकारक साबित होगी। बिजली विभाग के जेई का यह कृत्य निश्चित रूप से गैर जिम्मेदाराना हरकत है, संबंधित को इनके खिलाफ कार्रवाई भी करनी चाहिए। लेकिन वन दरोगा और रेंजर की बातों से ऐसे मामलों में इनकी संलिप्तता साफ तौर पर नजर आ रही है। फिलहाल इस संबंध में डीएफओ से वार्ता की गई तो उन्होंने कहा मामला आपके द्वारा मेरी जानकारी में आया है, जल्द ही इस मामले में कार्यवाही की जाएगी।
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