बांदा मुख्यालय पर आचार्य विनोद शुक्ला के मुखारविंद से बह रही है श्रीमद्भागवत कथा की रसधार

बांदा मुख्यालय पर आचार्य विनोद शुक्ला के मुखारविंद से बह रही है श्रीमद्भागवत कथा की रसधार

केएमबी ब्यूरो रानू शुक्ला

बांदा। जिले के सुविख्यात कथावाचक रामकथा व श्रीमद्भागवत कथा का पूर्ण ज्ञान रखने वाले व्यास आचार्य विनोद जी शुक्ला वैदिक के मुखारविंद से श्रीमद्भागवत कथा की रसधार बह रही है। बांदा मुख्यालय धीरज नगर में श्रीमद्भागवत कथा राकेश शुक्ला के निवास चल रही है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु कथा स्थल पर पहुंचकर महाराज जी के मुखारविंद से श्रीमद्भागवत की कथा को सुनकर अपने जीवन को कृतार्थ कर रहे हैं। छठवें दिवस के अवसर पर व्यास आचार्य विनोद शुक्ला के द्वारा कहा गया कि श्रीमद्भागवत श्री कृष्ण का साक्षात स्वरूप विग्रह है जिसके श्रवण, पठन व दर्शन मात्र से जीव भव सागर से मुक्त हो जाता है। जिस घर में श्री कृष्ण के विग्रह स्वरूप श्रीमद्भागवत की पूजा एवं प्रतिष्ठा होती है वह स्थान साक्षात तीर्थ स्वरूप हो जाता है। श्रीमद्भागवत कथा जीव के सूक्ष्म अति सूक्ष्म दोषों का समन कराकर श्री कृष्ण की गोदी प्रदान करती एवं मृत्यु को मंगलमय में बनाती है। श्रीमद्भागवत कथा इसलिए जीवन में एक बार अवश्य सुननी चाहिए। परीक्षित श्रोता बनकर अवश्य श्री कृष्ण कथा रस का पान करना चाहिए। राजश्री परीक्षित को इसी कथा के श्रवण मात्र से 7 दिन में मुक्ति प्राप्त हुई थी और भक्ति महारानी के पुत्र ज्ञान वैराग्य को नवजीवन प्राप्त हुआ था। आचार्य श्री ने कहा परमहंसों की संहिता है, जय पुराण भगवान वेदव्यास जी को इसी महाकाव्य को लिखकर आत्म संतुष्टि एवं परम शांति प्राप्त हुई थी तो क्या यह कथा हमारा कल्याण नहीं करेगी, लेकिन यह कथा एक अनुष्ठान है। आचार्य श्री ने और कई ज्ञान की बाते बताई और भक्त रस मुक्त होकर महाराज श्री के मुख से यह बाते बड़ी विचार के साथ सुन रहे थे।
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