नहरों में पानी व बरसात न होने से किसान के माथे पर दिख रही है चिंता की साफ लकीरें
इस समय धान की रोपाई चल रही है किसान पानी के लिए तरस रहे हैं ना बरसात हो रही है ना नहरों में पानी आ रहा है और विद्युत व्यवस्था भी ध्वस्त है किसान बेचारे जाए तो जाए कहां अगर किसान किसी तरीका से अपने खेत को लगा भी लिए हैं तो उनकी सिंचाई करने के लिए उनको पानी की व्यवस्था नहीं है किसान पानी के लिए तरस रहे हैं पूरे क्षेत्र में पानी की त्राहि त्राहि मची हुई है किसान अपनी जमा पूंजी की खेत में लगा चुके हैं लगता है ना धान मिलेगा ना पुआल किसान के दर्द को ना भगवान देख रहे हैं ना सरकार नहरों में पानी न आने से किसान अपना खेती नहीं कर पा रहे हैं किसान की हालत यह है कि ना घर के हैं ना घाट के बस राम भरोसे सरकार का भी तंत्र फेल हो गया है किसानों के प्रति ना सुचारू रूप से नहर में पानी दे पा रहे हैं ना विद्युत व्यवस्था किसान अपना दर्द कहां किस-किस से कहे किसान जब खेत में जाते हैं तो खेत उनका पानी मांगता है और वह ऊपर बादल को देखते हैं और आस लगाए हैं की बरखा कब होगी कब अपने खेतों को पानी मिलेगा
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