जालसाज को न्यायालय से भी लगा बड़ा झटका, जिला जज ने खारिज की जमानत अर्जी
केएमबी संवाददाता
सुल्तानपुर। फर्जी एवं कूटरचित दस्तावेज तैयार करने के आरोपी को कोर्ट से लगा झटका जमानत हुई खारिज। पूरा मामला कोतवाली देहात थाना क्षेत्र के ओदरा गांव से जुड़ा है जहां बीते कुछ महीना पहले गांव निवासी दिलशाद उर्फ रुखसार पुत्र आलमीन व उसके अन्य भाइयों द्वारा ग्राम सभा में हो रही चकबंदी के दौरान दीगर बंजर के खाते में अंकित गाटा संख्या 267 को अपने पिता स्वर्गीय आलमीन के नाम से फर्जी एवं कूटरचित खसरा व खतौनी बनाकर चकबंदी अधिकारी प्रथम के न्यायालय में वाद दायर किया था। सुनवाई के दौरान चकबंदी अधिकारी ने फर्जी एवं कूटरचित मानते हुए म 18 अप्रैल 2024 को निरस्त कर दिया। चकबंदी अधिकारी ने अपने आदेश में स्पष्ट रूप से कह दिया कि वह वादी द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों को संदिग्ध एवं कूटरचित न मानने का कोई कारण नजर नहीं आ रहा है जिसके कारण वाद निरस्त किया जाता है। आरोपियों द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों के संबंध में गांव सभा निवासी रुकसार अहमद ने कलेक्ट्रेट अभिलेखागार व तहसील अभिलेखागार से जन सूचना मांगा तो लिखित जवाब प्राप्त हुआ कि मोहम्मद आलमीन के नाम से कोई भी अभिलेख अभिलेखागार में उपलब्ध नहीं है। पुलिस अधीक्षक को शिकायती पत्र देकर उक्त दस्तावेजों की जांच की मांग की गई तो पुलिस की जांच में भी सभी दस्तावेज फर्जी पाए गए। इसके बाद वादी मुकदमा की तहरीर पर बीते 9 मई को आरोपियों पर के ऊपर आईपीसी की धारा 419 व 420 में मुकदमा पंजीकृत किया गया जिसमें विवेचना के दौरान वादी द्वारा लगाए गए आरोप सिद्ध पाए जाने पर फर्जी एवं कूट रचित दस्तावेज बनाने के आरोप में विभिन्न धाराएं- 468, 467, 471, 120बी की बढ़ोतरी हुई और 11 सितंबर 2024 को आरोपी दिलशाद उर्फ रुखसार स्थानीय पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर न्यायालय के समक्ष पेश किया गया जहां से आरोपी को जेल भेज दिया गया। आरोपी की तरफ से 13 सितंबर 2024 को न्यायालय में जमानत अर्जी दाखिल की गई, जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने आरोपी पर लगाए गए आरोपी को अति गंभीर प्रकृति का बताते हुए जमानत अर्जी को खारिज कर दिया।
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