प्रतिबंध के बाद भी तबादले और अटैचमेंट पर MP सरकार सख्त: परमिशन बगैर पोस्टिंग की तो होगी कार्यवाही

प्रतिबंध के बाद भी तबादले और अटैचमेंट पर MP सरकार सख्त: परमिशन बगैर पोस्टिंग की तो होगी कार्यवाही 

भोपाल। प्रदेश में तबादले पर प्रतिबंध के चलते सीएम समन्वय के माध्यम से तबादला आदेश जारी हो रहे हैं। इस बीच सरकार के पास यह जानकारी आई है कि कई विभागों में तबादले और अटैचमेंट किए जा रहे हैं। इसे देखते हुए सरकार ने सख्ती दिखाई हैजनजातीय कार्य विभाग ने प्रदेश के अलग-अलग जिलों में अटैचमेंट के नाम पर कर्मचारियों, अधिकारियों और शिक्षकों की पदस्थापना बदले जाने के मामले में सीनियर अफसरों से प्रमाण पत्र मांगा है।

जनजातीय कार्य विभाग द्वारा संभागीय उपायुक्त, सहायक आयुक्त और जिला संयोजक जनजातीय कार्य और अनुसचित जाति विकास विभाग को इस संबंध में निर्देश जारी किए हैं। इसमें कहा गया है कि सामान्य प्रशासन विभाग के स्पष्ट निर्देश हैं कि संभाग और जिला स्तर पर अधिकारी और कर्मचारी तथा शिक्षक संवर्ग के तबादले न किए जाएं।

इस तरह के मामले में शासन के अनुमोदन के बाद ही कार्यवाही की जा सकती है। विभाग के संज्ञान में यह बात आई है कि संभागीय उपायुक्त, सहायक आयुक्त और जिला संयोजक जनजातीय कार्य और अनुसचित जाति विकास द्वारा अपने स्तर पर अटैचमेंट और तबादले किए जा रहे हैं। यह प्रक्रिया गलत है।

चेतावनी दी- ऐसे केस मिले तो अफसरों पर कार्यवाही

सभी संभाग और जिला स्तर पर किए गए इस तरह के संबंधित तबादले और अटैचमेंट को निरस्त कर इस बात का प्रमाण पत्र जारी करें कि उनके कार्यक्षेत्र में शासन की अनुमति के बगैर कोई तबादला या अटैचमेंट नहीं किया गया है।

यह प्रमाण पत्र 16 दिसम्बर तक भेजने के लिए कहा गया है। विभाग ने फील्ड अधिकारियों को चेतावनी दी है कि 16 दिसम्बर के बाद इस तरह के कोई मामले सामने आए तो संबंधित अधिकारी के विरुद्ध कार्यवाही की जाएगी। जिस फार्मेट में फील्ड में पदस्थ जिला अधिकारियों से प्रमाण पत्र मांगा गया है उसमें प्रमाण पत्र जारी करने की तारीख का उल्लेख विशेष रूप से करने को कहा गया है।


सामान्य प्रशासन विभाग ने भी स्पष्ट किया है कि किसी भी तरह के नियम-विरुद्ध तबादले और अटैचमेंट न केवल प्रशासनिक प्रक्रियाओं में बाधा डालते हैं, बल्कि शासन के आदेशों की अवहेलना भी करते हैं।

अधिकारियों को चेतावनी
विभाग ने सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को निर्देश दिया है कि वे इस आदेश का पालन करें और 16 दिसंबर तक अपने कार्यों का प्रामाणिक प्रमाण जमा करें। ऐसा न करने पर जिम्मेदार अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

सरकार का यह कदम प्रशासनिक प्रक्रियाओं को पारदर्शी और नियमबद्ध बनाने की दिशा में एक सख्त संदेश के रूप में देखा जा रहा है।

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