मकर संक्रांति पर संगम नगरी में उमड़ा भक्तों का सैलाब, अमृत स्नान के साथ गूंजे हर-हर महादेव के जयकारे
प्रयागराज। 2025 के मौके पर प्रयागराज में आस्था का सैलाब उमड़ा और लाखों श्रद्धालु पवित्र संगम में स्नान के लिए पहुंचे। महाकुंभ में शाही स्नान का महत्व अत्यधिक है। यह स्नान खास तिथियों पर आयोजित होते हैं, जो ज्योतिष गणना के आधार पर निर्धारित किए जाते हैं। प्रयागराज में 13 जनवरी से महाकुंभ का आगाज हो गया है और इस बार महाकुंभ 26 फरवरी तक चलेगा। हर साल की तरह इस बार भी महाकुंभ में साधु-संतों और श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी है। यह पर्व धार्मिक आस्था और परंपरा का प्रतीक है, जहां लाखों लोग पवित्र नदियों में स्नान करने के लिए आते हैं। 14 जनवरी को मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर महाकुंभ का दूसरा दिन और पहला शाही स्नान है। महाकुंभ के दौरान शाही स्नान का अत्यधिक धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। शाही स्नान वह दिन होते हैं जब ज्योतिष गणना के अनुसार नदियों का पानी अमृत के समान हो जाता है। इस दिन के स्नान से व्यक्ति के पाप धुल जाते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है। हिंदू धर्म में यह विश्वास है कि इस दौरान देवता भी स्वर्ग से पृथ्वी पर आकर स्नान करने के लिए संगम में आते हैं।
शाही स्नान को मोक्ष की प्राप्ति का एक प्रमुख उपाय माना जाता है। मकर संक्रांति के दिन महाकुंभ में पहला शाही स्नान होता है। इस दिन सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं, जिससे गंगा स्नान का महत्व और बढ़ जाता है। खासकर मकर संक्रांति के दिन स्नान करने से व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है। यही कारण है कि इस दिन लाखों श्रद्धालु गंगा, यमुना और सरस्वती की पवित्र त्रिवेणी संगम में स्नान करने के लिए आते हैं। इस दिन स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है और मन को शांति प्राप्त होती है। महाकुंभ के दूसरे दिन श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाने पहुंचे और इस दिन के महत्व को महसूस किया। इस दिन शाही स्नान के दौरान नागा साधु संगम में स्नान करते हुए हाथ में गदा लिए हुए मस्ती में झूमते हुए नजर आ रहे हैं। इन साधुओं का यह रूप एक अद्भुत धार्मिक अनुभव प्रदान करता है। महाकुंभ के दूसरे दिन और शाही स्नान के पहले दिन की तस्वीरें बहुत ही दिलचस्प और भावुक हैं। संगम तट पर लाखों श्रद्धालु त्रिवेणी में पवित्र स्नान कर रहे हैं। इस अवसर पर अखाड़ों के संत-महंत भी संगम तट पर पहुंचते हैं और अमृत स्नान करते हैं। इन साधु संतों का संगम तट पर आगमन श्रद्धालुओं के लिए बहुत ही प्रेरणादायक होता है। उनके साथ गूंजती जय भोले की आवाज वातावरण में एक अलग ही आस्था का माहौल बनाती है। इस साल भी मकर संक्रांति के दिन प्रयागराज का संगम तट श्रद्धालुओं के उत्साह और धार्मिक जयघोष से गूंज उठा। लाखों श्रद्धालु गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में आस्था की डुबकी लगाते नजर आए। इस दौरान संगम तट पर ‘हर हर गंगे’ और ‘जय भोले’ की गूंज सुनाई दी। ठंड के बावजूद श्रद्धालुओं में स्नान को लेकर भारी उत्साह देखा गया।
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