कोतवाली थाने में कानून की धज्जियाँ, झूठे केस, महिला से मारपीट
सीसीटीवी में कैद सच, सवालों के घेरे में सिस्टम
छिंदवाड़ा। कानून की रक्षा के लिए बने पुलिस थाने अब खुद सवालों के कटघरे में खड़े दिखाई दे रहे हैं। कोतवाली थाना परिसर से जुड़ा एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जिसमें प्रार्थी कैलाश सोनी को झूठे मामले में फंसाने और थाने के अंदर महिला से चप्पल से मारपीट जैसे गंभीर आरोप लगाए गए हैं।प्रार्थी कैलाश सोनी का आरोप है कि अधिवक्ता दीप्ति नाग द्वारा उनके विरुद्ध जानबूझकर झूठी रिपोर्ट दर्ज कराई गई, जबकि तथ्यों से उसका कोई लेना-देना नहीं है। हैरानी की बात यह है कि पूरा घटनाक्रम कोतवाली थाना परिसर में हुआ, वही स्थान जहां आम नागरिक न्याय और सुरक्षा की उम्मीद लेकर पहुंचता है। सबसे चौंकाने वाला आरोप यह है कि प्रार्थी की धर्मपत्नी के साथ कोतवाली परिसर में चप्पल से मारपीट की गई, और यह पूरी घटना थाने में लगे सीसीटीवी कैमरों में कैद बताई जा रही है। यदि यह आरोप सही साबित होते हैं, तो यह घटना महिला सुरक्षा, पुलिस निष्पक्षता और कानून व्यवस्था पर सीधा तमाचा है। पीड़ित पक्ष का कहना है कि घटना का वीडियो प्रमाण मौजूद होने के बावजूद अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। इससे यह सवाल उठता है कि क्या प्रभाव और पद के आगे कानून बेबस है? क्या आम नागरिक को न्याय के लिए लड़ना ही पड़ेगा? क्या कोतवाली थाना में सब कुछ “मैनेज” किया जा रहा है? न्याय व्यवस्था पर गंभीर सवाल। यह मामला केवल दो पक्षों का विवाद नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की विश्वसनीयता पर सवाल है। यदि थाने के भीतर ही महिला सुरक्षित नहीं है और सीसीटीवी में कैद घटनाओं पर भी चुप्पी साध ली जाती है, तो आम जनता किससे न्याय की उम्मीद करे? फिलहाल पुलिस प्रशासन की ओर से कोई स्पष्ट और सार्वजनिक बयान सामने नहीं आया है। पीड़ित पक्ष ने उच्च अधिकारियों से निष्पक्ष जांच, सीसीटीवी फुटेज सार्वजनिक करने और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। अब देखना यह है कि सच सामने आता है या फाइलों में दबा दिया जाता है। कोतवाली थाने का यह मामला आने वाले दिनों में बड़े प्रशासनिक और कानूनी तूफान का संकेत दे रहा है।
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