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बांदा में पत्रकारों ने अनशन के 16वें दिन जिला प्रशासन का फूका पुतला एवं लगाए मुर्दाबाद के नारे

बांदा में पत्रकारों ने अनशन के 16वें दिन जिला प्रशासन का फूका पुतला एवं लगाए मुर्दाबाद के नारे

केएमबी ब्यूरो रानू शुक्ला

बांदा। निर्दोष 7 पत्रकारों के समर्थन में लगातार 15 दिन से चल रहे अनशन में बैठे पत्रकारों ने 16वें दिन जिला प्रशासन का पुतला फूका और मुर्दाबाद के नारे लगाए वही पत्रकारों ने जिला प्रशासन के खिलाफ भारी आक्रोश व्यक्त किया। आपको बताते चले पूरा मामला विगत 25 सितंबर को ग्रामीणों की सूचना पर अवैध खनन के ओवरलोड वाहनों से गांव में लग रहे जाम की खबर कवर करने गए 7 पत्रकारों को फर्जी तरीके से नरैनी सीओ और खनन माफियाओं की मिलीभगत से बिना जांच किए रंगदारी जैसे मामले में जेल भेज दिया गया जब इसकी सूचना जिले के विभिन्न पत्रकारों को हुई तो उन्होंने आनन फानन में मामले को संज्ञान लेते हुए प्रशाशन से बात करना चाही लेकिन उन्हें वहा भी असफलता हाथ लगी वही जब अगले दिन उन्होंने जिला अधिकारी बांदा अनुराग पटेल से प्रार्थना पत्र के माध्यम से मिलना चाहा तो वहां भी प्रशाशन ने उनकी एक न सुनी जिससे अक्रोशित होकर पत्रकार क्रमिक अनशन में बैठ गए लेकिन 15 दिन बीत जाने के बाद भी जिला प्रशासन ने उनका संज्ञान ना लिया न ही जिला प्रशासन का कोई अधिकारी उनकी आवाज सुनने आया जिससे आहत होकर संविधान का चौथा स्तंभ कहे जाने वाले पत्रकारों ने जिला प्रशासन का पुतला फूका और भरी आक्रोश व्यक्त करते हुए जिला प्रशासन मुर्दाबाद के नारे लगाए तभी मौके पर मौजूद पुलिस ने पत्रकारों के हाथ से पुतला छीनने की कोशिश जिससे काफी नोक झोंक हुई और जबरजस्ति पुलिस प्रशासन ने पत्रकारों के हाथ से पुतला छीन लिया वही अनशन का नेतृत्व कर रहे पत्रकार के के दीक्षित ने बताया हम लगातार 16 दिन से अनशन में बैठे हुए है अभी  तक प्रशासन का कोई अधिकारी जानकारी करने नही आया हमारी मांगे ज्यादा बड़ी नही है हम सिर्फ इतना जानना चाहते ही जिन्हे पकड़ा गया है वो पत्रकार है या नही इसकी जानकारी हमे लिखित में दे और इसकी न्यायिक जांच होनी चाहिए हम आगे भी ऐसे अभी कई कार्यक्रम करते रहेंगे और आमरण अनशन तक भी करेंगे उन्होंने बोला जिला प्रशासन कहीं न कहीं मान्यनीय और सत्ता के दबाव में कार्य कर रहे है जिससे सरकार की फिजा खराब हो रही है। वही संरक्षक अनिल तिवारी ने बताया की हमारे 7 साथियों को नरैनी पुलिस द्वारा बिना जांच किए जेल भेज दिया गया जो असत्य और असंवैधानिक है जिसकी जांच होना जरूरी है। वही इसमें 2 दर्जन से ज्यादा पत्रकार मौजूद रहे जिनमें के के दीक्षित,अनिल तिवारी,नवीन कुमार मिश्र,धीरज शर्मा,पंकज त्रिपाठी,राघवेंद्र मिश्रा,बालेंद्र तिवारी, रानू,शालिनी पटेल,आशा,शिवानी सिंह,सीमा गिरी आदि मुख्य भूमिका में थे। अब देखने लायक है इसके बाद क्या उत्तरप्रदेश सरकार जो हमेशा पत्रकारों के हितों की बात करती है क्या यहां अनशन में बैठे पत्रकारों की आवाज सुनेगी या वो बातें ही बातें रह जायेंगी और यूहीं संविधान के चौथे स्तंभ की आवाज दबाई जायेगी।
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