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भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबा लोक निर्माण विभाग का प्रांतीय खंड खंड- सुशील त्रिवेदी

भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबा लोक निर्माण विभाग का प्रांतीय खंड खंड- सुशील त्रिवेदी

केएमबी रानू शुक्ला

बाँदा। प्रांतीय खंड लोक निर्माण विभाग के तत्कालीन अधिशाषी अभियंता सुमन्त कुमार व अन्य अधिकारियों द्वारा किए गए भ्रष्टाचार एक के बाद एक लगातार उजागर हो रहा है तो वही अधिशाषी अभियंता राजाराम मथुरिया भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबे तत्कालीन अधिकारियों पर कार्यवाही कराने के बजाय उनसे सांठ-गांठ कर भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने की कोशिश में जुटे है। छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष सुशील त्रिवेदी ने मुख्यमंत्री को दिनांक 7 सितम्बर 2022 को पत्र लिखकर शिकायत किया था कि तत्कालीन अधिशाषी अभियंता सुमन्त कुमार ने शासन को गुमराह करते हुए तथ्यों को छुपाकर बाँदा-बहराइच मार्ग में पूर्व में स्वीकृत डिवाइडर कार्य को पुनः 2021 में स्वीकृत कराकर लाखों रुपयों का बंदरबाँट कर लिया है। भ्रष्टाचार को गंभीरता से लेते मुख्यमंत्री कार्यालय ने जाँच कर अधिशाषी अभियंता राजाराम मथुरिया से जाँच आख्या शीघ्र उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था लेकिन अधिशाषी अभियंता राजाराम मथुरिया ने भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबे अधिकारियों को बचाने के उद्देश्य से 04 नवंबर 2022 को यह पत्र लिखा कि जाँच प्रक्रियाधीन है कृपया शिकायत का निस्तारण कर दिया जाए, जिस पर शासन ने कड़ी फटकार लगाई और अतिशीघ्र निष्पक्ष व गुणवत्तापूर्ण जाँच आख्या उपलब्ध कराने का निर्देश दिया लेकिन अधिशाषी अभियंता राजाराम मथुरिया ने शासन के निर्देशों को गंभीरता से नहीं लिया और समय से जाँच आख्या न उपलब्ध कराने के कारण उन्हें डिफाल्टर घोषित कर दिया। जिसके उपरांत अधिशाषी अभियंता ने कुछ तथ्यों को छुपाकर जाँच आख्या भेजी है जिसमे स्पष्ट हो गया है कि शासन ने डिवाइडर कार्य के लिए 43 लाख रूपये स्वीकृत किये थे और डिवाइडर का कार्य भी नहीं कराया गया और उक्त धनराशि शासन को समर्पित नहीं किया गया। पूर्व अध्यक्ष सुशील त्रिवेदी ने कहा कि यदि उच्च स्तरीय जाँच कराई जाएं तो करोड़ों रुपयों के गबन उजागर होगा क्योंकि महाराणा प्रताप चौराहा से इंदिरा नगर तक पूर्व में डिवाइडर का कार्य कराया गया था और फिर उसे तोड़ा गया था शासन की कड़ी फटकार के बाद अधिशाषी अभियंता राजाराम मथुरिया ने दिनांक 04-03-2023 को भेजी अपनी जाँच आख्या में लिखा है कि शासन ने डिवाइडर कार्य के लिए 43 लाख दिए थे लेकिन डिवाइडर का कार्य कराया ही नहीं गया जिससे साफ है कि अभी भी भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबे अधिकारियों को बचाने में जुटे है। लेकिन भ्रष्टाचार में डूबे अधिकारियों को जब तक दंड नहीं मिल जाता और गबन किया गया धन वसूला नहीं जाता तब तक चुप नहीं बैठेंगे।
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