विज्ञापन लगवायें

अपना विज्ञापन हमें भेजें व्हाट्सएप नं० 9415968722 पर

1 / 7
2 / 7
3 / 7
4 / 7
5 / 7
6 / 7
7 / 7

माफिया डान अतीक अहमद की 40 साल की बादशाहत 19 सेकंड में 18 गोलियों के साथ हुई समाप्त

माफिया डान अतीक अहमद की 40 साल की बादशाहत 19 सेकंड में 18 गोलियों के साथ हुई समाप्त

प्रयागराज। अपराध की दुनिया का बेताज बादशाह माफिया अतीक अहमद और उसके भाई पूर्व विधायक अशरफ का अंत का अंत फिल्मी अंदाज में हुआ। दोनों का अंत इस तरह फिल्मी अंदाज में होगा ऐसा किसी ने सोचा नहीं होगा।अतीक अहमद एक बार सांसद, चार बार विधायक रहे। अतीक पर 44 साल पहले पहला मुकदमा दर्ज हुआ था और तब से लेकर अब तक अतीक पर सौ से ज्यादा मामले दर्ज हुए। पहली बार उमेश पाल अपहरण कांड में अतीक को उम्रकैद की सजा हुई थी। बसपा विधायक राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह उमेश पाल हत्याकांड के बाद माफिया अतीक अहमद का सबसे बुरा दिन शुरु हुआ था।अतीक ने अपराध के बलबूते अपनी पहचान बनाई और फिर राजनीति में एंट्री की। 28 साल की उम्र में अतीक विधायक बना तो ताकत दोगुनी हो गई।इसके बाद जो भी रास्ते में आया वो मारा गया।हर हाई प्रोफाइल हत्याकांड में अतीक का नाम आया। अतीक अहमद पर एक के बाद एक 100 से अधिक मुकदमे दर्ज हुए,लेकिन कभी किसी केस में सजा नहीं हुई। 44 साल बाद 28 मार्च 2023 को अतीक को उमेश पाल अपहरण कांड में पहली बार उम्रकैद की सजा सुनाई गई। अतीक के साथ मारा गया अशरफ भी अपने भाई के साथ हमेशा रहा। हर बड़े मुकदमे में अतीक के साथ अशरफ नामजद था। अतीक अहमद को बीते माह 29 मार्च को उमेश पाल अपहरण कांड में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। अतीक के साथ दोषी करार दिए गए दिनेश पासी और सौलत हनीफ को भी उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी।हालांकि, अतीक के भाई अशरफ समेत सात जीवित आरोपी मंगलवार को दोष मुक्त करार दिए गए थे। 
अतीक अहमद पर 44 साल पहले पहला मुकदमा दर्ज हुआ था। तब से अब तक अतीक के ऊपर 100 से अधिक मामले दर्ज हुए थे, लेकिन पहली बार किसी मुकदमे में उसे दोषी ठहराया गया था। अतीक पर पहला मुकदमा 1979 में दर्ज हुआ था। इसके बाद जुर्म की दुनिया में अतीक ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। हत्या, लूट, रंगदारी अपहरण के न जाने कितने मुकदमे अतीक के खिलाफ दर्ज होते रहे। मुकदमों के साथ ही अतीक का राजनीतिक रुतबा भी बढ़ता गया। अतीक के खिलाफ कुल 101 मुकदमे दर्ज हुए। वर्तमान में अदालत में 50 मामले चल रहे थे। 
गुजरात की साबरमती जेल से प्रयागराज लाते समय अतीक अहमद का काफिला झांसी में भी रुका था। यहां अतीक ने अपनी हत्या की आशंका जताई थी। अतीक की ये आशंका शनिवार की रात सच साबित हुई। अतीक और उसके भाई अशरफ की ताबड़तोड़ गोलियां बरसाकर हत्या कर दी गई। इसके दो दिन पहले झांसी में अतीक का बेटा असद और शूटर गुलाम को एसटीएफ ने एनकाउंटर में मार गिराया था।
साबरमती जेल से प्रयागराज लाते समय एक माह के दरम्यान अतीक अहमद तीन बार झांसी से होकर गुजरा। 27 मार्च की सुबह अतीक को यहां लाया गया था और पुलिस लाइन में लगभग दो घंटे तक रोका गया था। अतीक ने अपनी हत्या की आशंका जताई थी। इसके अलावा अतीक के काफिले के पीछे आई अतीक की बहन ने भी भाई की सुरक्षा को खतरा बताया था। इसके बाद पिछले बुधवार को भी झांसी होकर गुजरा था। तब अतीक ने कहा था कि सरकार ने उसके परिवार को मिट्टी में मिला दिया है। अब तो रगड़ा जा रहा है।
अतीक और अशरफ की हत्या के बाद साफ हो गया है कि अशरफ को अपने हश्र का अंदाजा पहले से था। शायद तभी उसने पिछली पेशी पर बरेली लौटते ही जेल के गेट पर पत्रकारों से दो सप्ताह बाद अपनी मौत का अंदेशा जता दिया था। दो दिन बाद आई अशरफ की बहन आयशा ने भी इसी बात को आगे बढ़ाया था। अब अशरफ की इतने ही वक्त में हत्या के बाद कई तरह की बातें लोगों की जुबां पर हैं। 28 मार्च को प्रयागराज में पेशी के बाद अशरफ को बरेली लाया गया था। जेल गेट पर अशरफ ने पत्रकारों से कहा था कि एक बड़े अधिकारी ने उसे धमकी दी है कि दो सप्ताह बाद जेल से निकालकर निपटा दिए जाओगे। पत्रकारों ने जब अधिकारी का नाम पूछा तो अशरफ का जवाब था कि वह फिलहाल अफसर का नाम नहीं बताएगा, मगर उसके साथ कोई घटना होगी तो अफसर का नाम लिखा बंद लिफाफा सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश व सीएम के पास पहुंच जाएगा।
25 जनवरी 2005 को प्रयागराज पश्चिमी विधानसभा सीट से नवनिर्वाचित बसपा विधायक राजू पाल की हत्या हुई थी।इसे लेकर 2007 में मुकदमा दर्ज हुआ। दस दिन पहले ही राजू पाल की शादी हुई थी। राजू पाल के बालसखा उमेश पाल इस हत्याकांड के मुख्य गवाह थे। अतीक ने राजू पाल हत्याकांड के बाद से उमेश पाल को मामले से हटने की धमकी दी थी। उमेश पाल नहीं माने तो 28 फरवरी 2006 को उनका अपहरण कर लिया गया। उमेश पाल को करबला स्थित कार्यालय में अतीक अहमद ने रात भर पीटा था। अतीक ने उमेश पाल से अपने पक्ष में हलफनामा लिखवा लिया। अगले दिन उमेश पाल ने अतीक के पक्ष में अदालत में गवाही भी दे दी, लेकिन उमेश पाल समय बदलने का इंतजार कर रहे थे। 2007 में बसपा सरकार बनी और मायावती मुख्यमंत्री बनीं। 2007 के चुनाव में एक बार फिर प्रयागराज पश्चिमी सीट से अतीक के भाई अशरफ को राजू पाल की पत्नी पूजा पाल ने हरा दिया। इसके बाद अतीक पर शिकंजा कसना शुरू हुआ। हालात बदले तो उमेश पाल ने अपने अपहरण का मुकदमा दर्ज कराया। इस मामले की उमेश पाल ने सालों पैरवी करते रहे। उमेश पाल ने अपने अपहरण के मामले को लगभग अंजाम तक पहुंचा दिया, लेकिन फैसले से एक महीने पहले उनकी हत्या कर दी गई। उमेश पाल अपहरण मामले में ही अतीक को सजा हुई थी।
और नया पुराने

Ads

Click on image to Read E-Paper

Read and Download Daily E-Paper (Free) Click Here👆

نموذج الاتصال