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भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबे बांदा जिले के लोक निर्माण विभाग की डीएम से शिकायत

भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबे बांदा जिले के लोक निर्माण विभाग की डीएम से शिकायत

केएमबी ब्यूरो रानू शुक्ला

बाँदा,27 अप्रैल। प्रांतीय खंड लोक निर्माण विभाग, बाँदा द्वारा बाँदा-हमीरपुर से मरौली तक सम्पर्क मार्ग पर विशेष मरम्मत का कार्य लम्बाई 5 किमी. तक लागत लगभग 50 लाख की स्वीकृति से बनाई जानी थी। उक्त मार्ग पर विगत कई वर्षो से बालू के ओवरलोड़ ट्रकों का आवागमन निरन्तर चल रहा है, जिसकी आड़ लेकर प्रांतीय खंड लोक निर्माण विभाग के अधिशाषी अभियंता राजाराम मथुरिया की मिलीभगत से मार्च माह में बिना पत्थर डाले ही लगभग 3-4 किमी तक ही मरम्मत कार्य के नाम पर खानापूर्ति कर सड़क के ऊपरी सतह पर पतली लेयर डालकर लगभग 13 लाख रूपये का भुगतान भी कर दिया गया जबकि कार्य होने के दो दिन बाद ही सड़क का नामोनिशान ही मिट गया। धूल धूश्रित हो चुकी सड़क को लेकर जिलाधिकारी  दुर्गाशक्ति नागपाल को मांग पत्र देकर छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष सुशील त्रिवेदी ने भ्रष्टाचार में संलिप्त अधिकारियों पर मुकदमा दर्ज कराकर धन की रिकवरी कराएं जाने की मांग एक बार पुनः किया। श्री त्रिवेदी ने बताया कि क्षेत्र में भ्रमण के दौरान ग्रामीणों ने उक्त सड़क पर लोक निर्माण विभाग द्वारा घटिया कार्य कराकर खानापूर्ति किए जाने व सरकारी धन के बंदरबाँट किए जाने की शिकायत की थी। जनहित में प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए जिलाधिकारी की गैर मौजूदगी में अपर जिलाधिकारी उमाकांत त्रिपाठी को दिनांक 15 अप्रैल 2023 को मांग पत्र देकर भ्रष्टाचार में संलिप्त अधिकारियों पर मुकदमा दर्ज कराकर बंदरबाँट किए गए धन की रिकवरी कराएं जाने का अनुरोध किया था लेकिन आज तक किसी भी प्रकार की कार्यवाही नहीं की गई। अधिशाषी अभियंता राजाराम मथुरिया द्वारा शिकायत किए जाने के बाद अपने भ्रष्टाचार को छुपाने व दबाने के उद्देश्य से उक्त मार्ग के सम्बंधित ठेकेदार को नोटिस देकर अधिशाषी अभियंता राजाराम मथुरिया स्वयं द्वारा किए गए भ्रष्टाचार से बचने का प्रयास किया जा रहा है। जिलाधिकारी दुर्गाशक्ति नागपाल ने भ्रष्टाचार को गंभीरता से लेते हुए कठोर कार्यवाही किए जाने का भरोसा दिया है। पूर्व अध्यक्ष सुशील त्रिवेदी ने कहां है कि यदि भ्रष्टाचार में संलिप्त अधिकारियों पर मुकदमा दर्ज कराकर बन्दरबांट किए गए सरकारी धन की रिकवरी नहीं कराई जाती है तो भ्रष्टाचार के खिलाफ एक सप्ताह बाद जनहित में अनशन करने को बाध्य होंगे, जिसका सम्पूर्ण दायित्व शासन प्रशासन का होगा।
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