69,000 शिक्षक भर्ती मामला: हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, योगी सरकार से मांगा जवाब
उत्तर प्रदेश में शिक्षक भर्ती मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामला गंभीर है, इसका असर नौकरी कर रहे लोगों पर पड़ सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (09 सितंबर) को उत्तर प्रदेश में 69,000 शिक्षक भर्ती मामले से जुड़ी याचिका पर सुनवाई की और इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी। मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) ने कहा कि हाईकोर्ट का फैसला फिलहाल स्थगित रहेगा और अगली सुनवाई 25 सितंबर को होगी। सीजेआई ने सभी संबंधित पक्षों को लिखित दलीलें पेश करने का निर्देश देते हुए कहा कि कोर्ट इस मामले पर अंतिम सुनवाई करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इस मामले के कानूनी पहलुओं को परख कर आदेश देगा। हाई कोर्ट ने आरक्षण नियमों का पालन न होने के आधार पर मेरिट लिस्ट रद्द कर दी थी। इसका असर लगभग 19000 ऐसे लोगों पर पड़ सकता है, जो 4 साल से नौकरी कर रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार और सभी पक्षों से लिखित में दलीलें पेश करने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट के फैसले की गहन समीक्षा के लिए समय चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों से कहा कि वह अधिकतम 7-7 पन्नों में अपनी लिखित दलीलें जमा करवा दें। कोर्ट ने इसके लिए 2 नोडल वकील तय किए। राज्य सरकार से भी जवाब दाखिल करने कहा।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में जून 2020 और जनवरी 2022 की चयन सूचियों को रद्द करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को 2019 की सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा के आधार पर तीन महीने के भीतर नई चयन सूची जारी करने का निर्देश दिया था। हाईकोर्ट ने यह भी कहा था कि अगर रिजर्वेशन कैटगरी का कोई उम्मीदवार जनरल कैटगरी की मेरिट के बराबर अंक लाता है तो उसका चयन जनरल कैटगरी के तहत माना जाना चाहिए। इस फैसले से राज्य में पहले से कार्यरत कई शिक्षकों में चिंता पैदा हो गई है, जिन्हें कोर्ट के फैसले के कारण अपनी नौकरी खोने का डर है।
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