माइनरे जब झाल झंकाङ एवं मिट्टी से पटी हों तो अन्नदाता अपने खेतों की कैसे करेगा सिंचाई??

माइनरे जब झाल झंकाङ एवं मिट्टी से पटी हों तो अन्नदाता अपने खेतों की कैसे करेगा सिंचाई??
केएमबी संवाददाता
सुल्तानपुर। माइनरे जब झाल झंकाङ एवं मिट्टी से पटी हो तो अन्नदाता अपने खेतों की कैसे करेगा सिंचाई?? बड़ा सवाल है। एक तरफ सिंचाई महकमा बड़े-बड़े दावे करता है कि नहरो एवं माइनरो में टेल तक पानी पहुंच रहा है दूसरी तरफ संलग्न तस्वीर यह बता रही है कि किस कदर माइनर झाल झंकाङ एवं मिट्टी से पटी हुई है। ऐसी स्थिति में किसान अपने खेतों की सिंचाई कैसे कर सकेगा सोचनीय विषय है। ताजा मामला विकासखंड कूरेभार के अंतर्गत ढेसरूआ माइनर का है। नहर की तस्वीर को देखने से स्पष्ट है कि इस माइनर के टेल तक पानी कभी नहीं पहुंचता होगा। यहां के किसान अपने खेतों में सिंचाई के लिए पानी को तरस रहे हैं। किसान ‌कैसे करें अपने खेतों की सिंचाई। प्रकरण के संबंध में शारदा सहायक खंड 16 सुल्तानपुर अधिकारियों का कहना है कि माइनरों की सफाई हो चुकी है जबकि संलग्न तस्वीर यह बता रही है कि बरसों से माइनर की सफाई नहीं हुई है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार सरकार द्वारा हर वर्ष सफाई के लिए हजारों हजार रुपए खर्च भेज जाता है बावजूद इसके नहर विभाग के अधिकारियों के द्वारा सिर्फ कागजों में ही सफाई कार्य होता है जमीनी हकीकत कुछ और ही है।
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