महाकुंभ भगदड़ के घायलों से मिले CM योगी: हाथ जोड़कर बोले-माई घबराओ मत, सब ठीक हो जाएगा
प्रयागराज। महाकुंभ में भगदड़ मचने के बाद चौथे दिन शनिवार को CM योगी आदित्यनाथ प्रयागराज पहुंचे। अफसरों के साथ घटनास्थल पर गए। मेला अधिकारी विजय किरण आनंद से पूछा- हादसा कैसे हुआ। भीड़ अनकंट्रोल क्यों हो गई। विजय ने सीएम योगी को बताया कि भीड़ किधर से आई, भगदड़ कैसे मची। इसके बाद रेस्क्यू कब और कैसे शुरू किया। योगी 10 मिनट तक भगदड़ वाली जगह पर रुके। फिर योगी एसआरएन अस्पताल गए। घायलों से मुलाकात की। योगी ने बुजुर्ग महिला से हाथ जोड़कर कहा- माई घबराओ मत, सबकुछ ठीक हो जाएगा। चोट और इलाज के बारे में भी पूछा। दूसरी घायल महिला को उनके घर तक पहुंचाने का निर्देश दिया। अस्पताल में 41 घायलों का इलाज चल रहा है। फिर साधु-संतों से मिलने पहुंचे। बसंत पंचमी पर होने वाले तीसरे अमृत स्नान की समीक्षा भी की। इससे पहले, प्रयागराज से सटे जिलों से आने वाले मार्गों का हेलिकॉप्टर से सर्वे किया।
CM योगी ने अधिकारियों से भगदड़ को लेकर सवाल भी पूछे और आगे ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कदम उठाने के निर्देश दिए। उन्होंने श्रद्धालुओं की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने पर जोर दिया और व्यवस्थाओं को और सख्त करने को कहा। मुख्यमंत्री के घटनास्थल पर पहुंचते ही घाट पर उपस्थित श्रद्धालुओं ने हर-हर महादेव और जय श्री राम के जयकारे लगाए। इसके पश्चात योगी सतुआ बाबा के आश्रम में पहुंचे। कहा- मौनी अमावस्या के अवसर पर कुछ पुण्य आत्माएं हादसे का शिकार हो गईं। मैं अभिनंदन करूंगा, उन संतों का जिन्होंने पूरे धैर्य के साथ एक अभिभावक के रूप में खड़े होकर उस चुनौती का सामना किया, उससे उबारा। आपने देखा होगा कि जो सनातन धर्म के विरोधी हैं, वे प्रयास कर रहे थे कि संतों का धैर्य जवाब दे जाए। वे लोग जग-हंसाई का काम करें, लेकिन मैं सभी 13 अखाड़ों के संतों और अन्य महात्माओं का अभिनंदन करता हूं, जिन्होंने परिस्थितियों का सामना किया। महाकुंभ के प्रति अपने दायित्वों का निर्वहन किया। सीएम ने कहा- अब तक 32 करोड़ से अधिक श्रद्धालु महाकुंभ की त्रिवेणी में डुबकी लगा चुके हैं। जो यहां से जा रहा है, वह यहां की व्यवस्था का गुणगान कर रहा है। हम लोगों को ये भी देखना होगा, कुछ लोग लगातार गुमराह कर सनातन धर्म के प्रति षड्यंत्र करने से बाज नहीं आ रहे हैं। ये आज नहीं, रामजन्मभूमि के समय से हो रहा है। ऐसे लोगों का रवैया उस समय भी जगजाहिर था आज भी वैसा ही है। हमें इन पर ध्यान नहीं देना। संतों के सानिध्य में काम करना है। जब तक संतों का सम्मान है, सनातन धर्म का कोई बाल बांका नहीं कर सकता।
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