अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत- अवध प्रांत की प्रांतीय बैठक राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के मार्गदर्शन में संपन्न
लखनऊ। दिनांक 8 जून 2025 दिन रविवार को एम. बी. गार्डन एवं रिजॉर्ट, तहसील रोड बक्शी का तालाब, लखनऊ में हुई जिसमें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आदरणीय आशा सिंह जी एवं राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य एवं पर्यावरण आयाम प्रमुख डॉ प्रमोद पांडेय जी भाई साहब का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रांतीय अध्यक्ष श्री यशपाल सिंह जी भाई साहब द्वारा की गई तथा कार्यक्रम का संचालन प्रांतीय सचिव आशुतोष मिश्र द्वारा किया गया। बैठक का प्रारंभ संगठन मंत्री से हुआ जिसे प्रांतीय कोषाध्यक्ष श्री रमा शंकर अवस्थी जी भाई साहब द्वारा कराया गया।
*राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आदरणीय आशा ताई जी द्वारा* बताया गया कि संगठन के कार्यकर्ता के पास समस्याएं है, तो उसका उत्तर भी कार्यकर्ताओं के पास ही है। हमारे कार्यकर्ता के पास मर्ज है, तो दवा भी उसके पास है। केंद्र एवं वरिष्ठ अधिकारियों का मार्गदर्शन विशेष रूप से सदैव मिलता रहता है। कार्य है, तो कार्यकर्ता को उसे करना ही पड़ेगा। जब आप कार्य करेंगे तो आपकी पहचान बनेगी । जैसे किसी भी बारात में दूल्हा एक परिधान में रहता है, इस परिधान से वह पहचाना जाता है। उसी प्रकार कार्यकर्ता अपने आचरण से, व्यवहार से पहचाना जाता है। जो भी कार्य हम करते हैं उसे सोशल मीडिया पर व प्रिंट मीडिया पर भेजें। इससे हमारा कार्य समाज में दिखाई पड़ेगा। किसी भी एक समस्या को कई कार्यकर्ता मिलकर अगर एक साथ ट्रेंड करते है तो वह कार्य होता दिखाई देगा। अगर आप चलोगे तो, कार्य आगे बढ़ेगा। हम स्थानीय समस्याओं को लेकर कार्य कर सकते हैं, जनमानस से जुड़े हुए कार्य जैसे पेयजल प्याऊ, मेलों व बाजार में मार्गदर्शन कैंप तथा स्थाई ग्राहक मार्गदर्शन केंद्र खोलकर कार्य कर सकते हैं। अवध प्रांत के अंदर ग्राहक पंचायत का कार्य दिखाई देगा। संगठन के सभी आयामों को आगे आना पड़ेगा और अपने-अपने आयाम के विषय को चिन्हित करते हुए किसी एक विषय पर एक साथ कार्य करना होगा। जैसे रोजगार सृजन आयाम के लिए हम रोजगार मेला लगा सकते हैं। सरकारी अधिकारियों, कुटीर उद्योग करने वाले लोगों, बैंक अधिकारियों को उसमें बुला सकते हैं। यह मेला हम किसी से प्रायोजित भी करा सकते हैं। ऐसे संगठन पर आर्थिक दिशा मे भार भी कम पड़ेगा और कार्य भी दिखाई पड़ेगा। ऐसे स्थान पर हम रंगोली प्रतियोगिता, मेहंदी प्रतियोगिता, ग्राहक जागरण प्रश्नोत्तरी का भी प्रयोग कर सकते हैं, प्रदर्शनी लगा सकते हैं, सांस्कृतिक कार्यक्रम कर सकते हैं। कहीं कोई मेला लगा है तो, हम उसमें अपना ग्राहक जागरण स्टॉल भी लगा सकते हैं । हम अपनी भूमिका सुनिश्चित करें कि हमें स्वयं ही कार्य करना है। आप स्वयं कार्य करें इसके लिए आपको जिम्मेदारी लेनी होगी और कार्य योजना बनानी होगी। हर माह किसी एक विशेष समस्या पर हम कार्य कर सकते हैं। अपनी प्रतिभा का प्रयोग करके जब कार्य करेंगे तो आपको स्वयं उस कार्य से बहुत प्रसन्नता प्राप्त होगी। हमें सदस्यता बढ़ाने हेतु विशेष तौर पर कार्य करना है तथा हमें जिलों तथा तहसीलों के प्रवास पर भी ध्यान देना है। प्रांत से एक कार्यकर्ता प्रत्येक जिले के प्रभारी के रूप में कार्य कर सकते हैं तथा अन्य कार्यकर्ता उनके सहयोगी के रूप में कार्य कर सकते हैं। हमें लोगों को जागृत करते रहना है और समस्याओं के समाधान के लिए आरटीआई लगानी है, ज्ञापन देना है तथा उक्त विषय पर अपने कार्यकर्ताओं को भी निपुण करना है। प्रवास के दौरान जब हम अपने कार्यकर्ताओं से मिलते हैं तो हमें एक विशेष प्रसन्नता का अनुभव होता है और हमारा परिचय का दायरा भी बढ़ता है, कार्यकर्ताओं में भी प्रसन्नता का भाव विकसित होता है। देश, समाज से हम बहुत कुछ प्राप्त करते हैं तो उसके प्रति भी हमारा दायित्व है कि हमें उसके प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना चाहिए।
*राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य पर्यावरण आयाम प्रमुख डॉ प्रमोद पांडेय जी भाई साहब* द्वारा अपने मार्गदर्शन में बताया गया इस संगठन के माध्यम से हमें आपके साथ जुड़ने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। कुछ लोग कह रहे हैं सिर्फ बैठक हो रही है और कार्य आगे नहीं बढ़ रहा है। इस पर हमें यह कहना है कि जब आप बैठकों में आते हैं तो आप अपने कार्यकर्ता भाव को विकसित करते हैं और उसी भाव से समाज में जन जागरण भी करते हैं। हमें स्वास्थ्य, शिक्षा, भ्रामक विज्ञापन, साइबर क्राइम, खाद्य पदार्थों में मिलावट, वस्तुओं में शुद्धता आदि विषयों पर कार्य करना है। प्रमुख तौर पर जैसे पैथोलॉजी जांच व प्राइवेट अस्पतालों मन माने शुल्क, दवा की बढ़ती कीमतों, प्राइवेट स्कूल की फीस वह किताबों पर अधिक एमआरपी विषय, ऑनलाइन गेम के दुष्प्रभाव, बैंकिंग, बीमा कंपनी तथा आवास में बिल्डर द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं में लापरवाही आदि विषयों पर हमें निरंतर कार्य करते रहना चाहिए जब हम कार्य करने की बात करेंगे तो उसे मूर्त रूप में क्रियान्वयन भी करेंगे इसलिए विषयों पर चर्चा होना आवश्यक है।
*प्रांतीय उपाध्यक्ष ओंकार पांडेय जी भाई साहब* द्वारा कहा गया कि आज इस बैठक में हम सभी प्रांत के लोग हैं। ग्राहक पंचायत संगठन का उद्देश्य बहुत ही व्यापक है। हमारा संगठन अपनी नैतिकता और व्यापकता के कारण समाज के प्रति अधिक उत्तरदायी है। जिस प्रकार रामचरितमानस में तुलसीदास बाबा ने जो लिखा है वह आदिकाल में तथा आने वाले समय में किसी न किसी रूप में आदर्श के रूप में प्रमाणित होता है और उदाहरण बनता है। उसी प्रकार हमारे संगठन का उद्देश्य एकदम सटीक है। ग्राहक जागरूक हो जाए तो बहुत सारी चीज ठीक हो जाती है। अवध प्रांत में जितने जिले हैं उन सभी जिलों की कार्यकारिणी को हमें पुनः ठीक चाहिए, हम सभी के पास जिन जिन जिलों की जिम्मेदारी है, उस पर सभी को प्रवास करना चाहिए। जब हम अपना परिचय देते हैं तो लोग अपनी समस्या बताते हैं । इसलिए कार्यकर्ताओं को निपुण होना चाहिए। ग्राहक समस्याओं के निराकरण के लिए बहुत सारे फोरम व प्राधिकरण बनाए गए हैं। उस पर कार्य हेतु कार्यशाला होनी चाहिए। संगठन में नए कार्यकर्ता आए इसके लिए सदस्यता बहुत ही प्रमुख है। सभी विषयों पर हम कार्य करके को मूर्त रूप देकर व्यापकता दे सकते हैं।
*प्रांतीय संगठन मंत्री डॉक्टर राम प्रताप सिंह बिसेन जी भाई साहब* द्वारा कहां गया अगर हमें संगठन आदर्श रूप से चलना है तो संगठन में सक्रिय कार्यकर्ताओं का चुनाव भी होना चाहिए। हमारे सभी आयामों की गतिविधि आवश्यक है जिले का प्रभारी पुनः बनाया जाना आवश्यक है और ग्राहक की समस्याओं विशेष तौर पर ध्यान देना है। जैसे एक विषय है आयुष्मान योजना का जो सरकार की बड़ी ही प्रतिष्ठित योजना है। उसमें दो चीज आवश्यक है। एक तो परिवार बीपीएल हो, दूसरा उसमें 6 सदस्य भी हो । हम देखते हैं कि हमारे हिंदू समाज में बहुत से ऐसे परिवार हैं जिसमें 6 सदस्य नहीं है और उन्हें आयुष्मान योजना की सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पाता है। हमें इस पर सरकार को अवगत कराना चाहिए और नियमों में कुछ सुधार भी कराए जाने चाहिए, जिससे वे परिवार जिनकी 6 सदस्यों की संख्या पूरी नहीं होती है, उन्हें भी इसका लाभ मिल सके।
*प्रांतीय कोषाध्यक्ष रामशंकर अवस्थी जी भाई साहब* द्वारा कहा गया अपने संगठन में अवध प्रांत राष्ट्रीय स्तर पर सबसे पहले अपनी बैलेंस शीट प्रस्तुत करता है। हम अपने कार्यकर्ताओं से यह निवेदन करते हैं कि वह जो भी सहयोग प्राप्त करते हैं उसमें दानदाताओं का पैन नंबर व मोबाइल नंबर अवश्य लेने यदि दान की राशि रु. 20,000/- से ऊपर है तो दानदाता का आधार कार्ड की छाया प्रति भी दें।
*प्रांतीय पर्यावरण आयाम प्रमुख प्रकाश चंद्र बरनवाल जी* द्वारा कहा गया कि प्लास्टिक उत्पाद किसी न किसी प्रकार से हमारे जीवन शैली में हावी होती जा रही हैं। हमें अपनी आदतों में सुधार करते हुए, प्लास्टिक का प्रयोगकम से कम करना चाहिए। सर्वप्रथम तो यह प्रयास करना चाहिए की प्लास्टिक की बोतलों में पानी ना पिया जाए। अपने साथ स्टील की एक बोतल सदैव रखी जाए तथा बैठकों में भी प्लास्टिक के बोतलों का प्रयोग बंद किया जाना चाहिए।
*प्रांतीय कार्यकारिणी सदस्य हेमनारायण पाठक जी* द्वारा कहा गया संगठन भी एक सामाजिक तंत्र है। कार्यकर्ता मनोभाव से जुड़ा रहता है, परंतु उसमें भी उदासीनता और शिथिलता आ जाती है। जब कार्यकर्ता कार्य रहता है, तो उसका उत्साह वर्धन होता है। केंद्रीय नेतृत्व से मैं यह भी निवेदन करना चाहता हूं कि सदस्यता वर्ष भर होनी चाहिए और जो भी कार्यकर्ता जिस माह में सदस्य बनता है, अगले वर्ष उस माह तक वह सदस्य रहे। हम जब बैठक करते हैं तो सदस्यों से वार्तालाप भी होना चाहिए। संगठन का भी सीमित दायरा है हमें वे समस्याएं लेनी चाहिए जो लोगों को प्रभावित कर सके हमें रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि विषयों पर फोकस करना चाहिए। उसके अतिरिक्त हम पर्यावरण व हिंदुत्व विषय भी ले सकते हैं। स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं के बारे में मैं कहना चाहता हूं कि स्वास्थ्य का तंत्र इस समय तीन तरह से चल रहा है। पहले जो सरकारी व्यवस्था है जिसमें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, मेडिकल कॉलेज एम्स आदि आ रहे हैं। दूसरा वह जो मल्टीनेशनल कंपनियों जैसे अस्पताल हैं जैसे अपोलो मेदांता आदि। तीसरा है निजी डिस्पेंसरी व प्राइवेट डॉक्टर इसके अलावा ग्रामीण स्तर पर झोलाछाप डॉक्टर का भी अपना एक विशेष प्रभाव है। हम देखते हैं बड़े-बड़े प्रभावशाली प्राइवेट अस्पताल बने हैं वहां पर मरीजों का विकसित सुविधाओं के नाम पर शोषण हो रहा है और वह समझ नहीं पाते हैं। इसके लिए हम कार्य कर सकते हैं। शिक्षा समस्या पर हम आर.टी.ई. शिक्षा का अधिकार विषय पर कार्य कर सकते हैं जिसमें सभी निजी स्कूलों में निर्धारित संख्या पर अल्प आय वाले व्यक्तियों के बच्चों का एडमिशन होता है। परंतु प्राइवेट स्कूल वाले उक्त एडमिशन में आनाकानी करते हैं।
ग्राहक पंचायत की एक पुरानी मांग है एमआरपी के साथ-साथ उक्त वस्तु का लागत मूल्य लिखा जाए। इस पर हम बहुत दिन से कार्य कर रहे हैं। हमारे संगठन का 50 वर्ष पूरा हुआ है और हमने स्वर्ण जयंती वर्ष मनाया है। इसे लागू करने के लिए प्रभावशाली ढंग से कार्य करना चाहिए। रजत जयंती वर्ष पर हमने 24 दिसंबर को ग्राहक दिवस के रूप में मनाने के लिए कार्य किया था और हम उस पर सफल भी हुए थे।
*लखनऊ महानगर अध्यक्ष लक्ष्मीकांत जी द्वारा* द्वारा कहा गया के जिले व महानगर कार्यकारिणी में सुधार आवश्यक है मैं जब से ग्राहक पंचायत का सदस्य बना हूं, मेरा पूर्ण प्रयास रहता है कि सभी बैठकों में मैं उपस्थित रहूं, जहां पर भी मैं अपेक्षित हूं, ऐसे लोगों को जिले व महानगर की कार्यकारिणी में रखने से बचना चाहिए जो की सूचना होने के बावजूद भी बैठक में उपस्थित नहीं होते हैं।
*राघवेंद्र प्रताप सिंह जी* द्वारा कहा गया कि जब हम सामाजिक सरोकारों से जुड़ा कार्य करेंगे तो हमारा कार्य स्वतः ही आगे बढ़ेगा।
*राहुल तिवारी जी भाई* द्वारा कहां गया कि हमारा संगठन सामाजिक भलाई के लिए कार्यकर्ता है परंतु हमारी दिनचर्या को विज्ञापन ने बुरी तरह प्रभावित कर रखा है, हमारे जीवन शैली विज्ञापनों पर आधारित होती जा रही है हम उससे प्रभावित होते हुए कार्य करने लगे हैं जो कि हमारी परंपराओं के अनुरूप नहीं है, हम उपभोक्तावाद के शिकार होते जा रहे हैं।
*रविंद्र नाथ शुक्ल जी* द्वारा कहा गया कि संगठन का प्रचार प्रसार नहीं हो रहा पा रहा है। हमें पोस्टर, बैनर ,पंपलेट आदि लगाकर तथा सोशल मीडिया के माध्यम से अपने विचारों को जनमानस के बीच पर पहुंचना चाहिए।
*प्रांतीय सचिव आशुतोष मिश्र* द्वारा कहा गया कि इस बैठक में आप सभी सुझाव को कार्यवाही रजिस्टर पर नोट किया जा रहा है और अगली बैठक पर इन सभी बिंदुओं पर चर्चा करते हुए कार्य को मूर्त रूप दिए जाने हेतु आप सभी के सहयोग से प्रयास किया जाएगा।
*अध्यक्ष उद्बोधन में प्रांतीय अध्यक्ष श्री यशपाल सिंह जी भाई साहब* द्वारा केंद्रीय दायित्ववान अधिकारियों का धन्यवाद व्यापित करते हुए कहा गया कि हम संगठन से इसलिए जुड़े हैं कि समाज के लिए कुछ करें, बिना दिए हम समाज के लिए कुछ नहीं कर सकते हैं, तन मन धन में से जो भी हमारे पास है, उसके साथ हम संगठन के लिए कार्य करें। जो भी जुड़ेगा, वह संगठन के लिए कार्य करेगा। हमें समाज से सब कुछ मिलता है उसे चुकाने का मौका है। समाज के साथ जुड़कर हम कार्य कर सकते हैं, किसके लिए हम सबसे पहले हम समय देते हैं। हमें संगठन को सशक्त बनाना है और संगठित करना है। प्रांत के कार्यकर्ताओं को जिलों की जिम्मेदारी लेनी है और वहां पर कार्य खड़ा करना है। बगैर कार्य किये , कोई भी संगठन दिखाई नहीं देगा हम जो कार्य करते हैं उसे सोशल मीडिया पर प्रिंट मीडिया पर अन्य माध्यमों से से प्राचरित प्रसारित भी करना है। जब हम निस्वार्थ भाव से कार्य करेंगे और विषय लोगों तक जाएगा तो लोग स्वयं जुड़ेंगे। हमें ग्राउंड लेवल पर कार्य करना होगा सभी जिलों की पुनः कार्यकारिणी बनानी है जो जगह पर निष्क्रिय बैठा है, वहां कार्य में भी बाधा कार्य हो रही है और समय भी व्यर्थ हो रहा है। उसके स्थान पर सक्रिय लोगों को लाना है। उक्त बैठक का समापन कल्याण मंत्र से हुआ जिसे लक्ष्मीकांत जी भाई साहब द्वारा कराया गया।
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