सिवनी चैत्यालय में स्वर्ण कलशारोहण का सपना हुआ साकार: सुजीत जैन
सिवनी। तरनतारन चैत्यालय में हुआ कलश रोहण कारण पंत का अर्थ है तारने वाला पंथ या मोक्ष मार्ग तारण पंथ अनादि काल से है और अनंत काल तक रहेगा जिसका कोई संस्थापक नहीं तारण पंथ की प्रवर्तना तीर्थ का परमात्मा करते हैं धारण पंथ में कई ऐसे आचार हुए जिन्होंने अपनी साधना के अनुभव पर अध्यात्म का सार जगत को समझाया 16 वीं शताब्दी में भाव लिंगी दिगंबर श्रमण आचार्य श्रीमद जिन संत तारण तरण स्वामी है उक्त उद्गार तारण तरण जैन मंदिर के कलश रोहण समारोह के अवसर पर संत बसंत जी महाराज ने व्यक्त किए इस अवसर पर पूर्व विधायक नरेश दिवाकर भाजपा नेता नरेंद्र गुड्डू सहित अनेक गणमान्य जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे। कलश रोहण के पूर्व इन कलशो का रोहण का सौभाग्य सिवनी सहित बाहर से आए लोगों को प्राप्त हुआ। तारण तरण समाज के अध्यक्ष सुजीत जैन ने बताया कि तारण तरण पंथ वह है जो सत्य व्यसनों को त्याग कर 18 क्रियाओं का पालन करता है वह तारण पंथी कहलाता है। यह अपनी पूजा को विधि कहते हैं। यह मंदिर को चैत्यालय कहते हैं। अभिवादन के रूप में जय जिनेंद्र एवं जय तारण तरण कहते हैं। आचार्य तरण तारण देव में 14 ग्रंथों की रचना की स्वर्ण कलशो के रोहण से होगी विश्व शांति का वातावरण। इस अवसर पर वसंत जी महाराज ने बताया कि सिवनी निवासियों का पुण्य है कि यहां के इस प्राचीन चैत्यालय को किसी तीर्थ स्वरूप देकर उस पर कलसा रोहण किया जा रहा है। मुख्य बात यह है कि आमतौर पर समाज कलसा रोहन करती है लेकिन सिवनी में प्रथम कलस 4 लोग तथा द्वितीय कलश 6 परिवार के द्वारा किया गया कलश में स्वर्ण का कार्य किशोर सोनी के मार्गदर्शन से बनारस के कारीगरों के द्वारा किया गया दो दिवसीय कार्यक्रम में उत्साह देखने को मिला।