हिट एंड रन कानून में किए गए नए संशोधन से वाहन चालकों के अंदर भय एवं आक्रोश का माहौल

हिट एंड रन कानून में किए गए नए संशोधन से वाहन चालकों के अंदर भय एवं आक्रोश का माहौल

केएमबी तजिंदर सिंह
दिल्ली। सरकार द्वारा बनाए गए भारतीय न्याय संहिता में हिट एंड रन कानून जिसमें संशोधन किया गया और 2 साल की जगह 10 साल की सजा और जुर्माने की राशि सात लाख रुपए अधिकतम तय कर दी गई इस कानून की वजह से भारतीय ड्राइवरों में बहुत ही ज्यादा रोष और भय पैदा हो गया जिसकी वजह से ड्राइवर लोग सम्पूर्ण दिमागी नियंत्रण से गाड़ी नहीं चला पा रहे हैं क्योंकि कानून के अनुसार अचानक कोई हादसा करता है और ड्राइवर मदद के लिए वहां रुकते हैं तो घटनास्थल पर मौजूद भीड़ जिसका कोई चेहरा नहीं होता है कानून को अपने हाथ में ले लेती है और ड्राइवर को पीट-पीट कर वही मार देती है और ड्राइवर जो कि जान बचाने की वजह से वहां से भाग जाता है जिसके लिए कई बार प्रशासनिक अधिकारी भी यह कहते हैं कि भीड़ से अपनी जान बचाकर घटनास्थल से भाग जाएं क्योंकि भीड़ कोई नाम या चेहरा नहीं होता है तो ड्राइवर पर नए कानून के तहत अधिकतम सात लाख तक का जुर्माना और 10 साल तक की सजा हो जाएगी जिसमें ड्राइवर मदद के रुक जाएं तो भीड़ मार देगी ड्राइवर दुविधा में फंस चुका है अगर सजा होती है तो वह एकमात्र अपने घर में रोज-रोटी काम आने वाला शख्स है उसका परिवार बिखर जाएगा दर दर भटक जाएगा और कई बार मजबूरी में परिवार के अन्य सदस्य मजबूरी बस आपराधिक प्रवृत्तियों में न चाहते हुए भी शामिल हो जाते हैं जिससे अपराध कम होने के बजाय और बढ़ने लगेंगे प्रशासन को नए कानून की धाराओं में संशोधन करना चाहिए या पुराने कानून को वापस लागू करना चाहिए जिससे ड्राइवरों में भय खत्म हो और वह पूरी दिमागी नियंत्रण में गाड़ी चला पाए।
अभी तक सरकार ने कानून वापस नहीं लिया है जिसको ड्राइवर ने अपनी भाषा में काला कानून घोषित किया है और इसके लिए लगातार जब से कानून बना है तब से हड़ताल और धरना प्रदर्शन पूरे भारत में हो रहे हैं जिसमें फिर से 17 जनवरी से भारत के कई राज्यों में धरना प्रदर्शन और हड़ताल बढ़ जाएगी और भारत के कई राज्य में गाड़ी का पहिया जो कि विकास के पहिए भी है वह रुक जाएगा इसके लिए जो भी परेशानी मुसीबत या दिक्कतें जनता को आएंगी उसके लिए कहीं ना कहीं सारी जिम्मेदारी प्रशासन और सरकार की होगी अतः सरकार को जल्द से जल्द ड्राइवरों की मांग पर विचार करना चाहिए और कोई ना कोई ठोस कदम उठाकर इस कानून में संशोधन करने पर विचार करना चाहिए ।
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