किसानों व आदिवासी समुदायों की समस्याओं को लेकर बिछुआ में जोरदार प्रदर्शन
बिछुआ, छिंदवाड़ा। गोंडवाना के विभिन्न सामाजिक संगठनों ने आज बिछुआ ब्लॉक मुख्यालय में किसानों व आदिवासी समुदाय की समस्याओं को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया और 11 सूत्रीय मांगों वाला ज्ञापन तहसीलदार के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति महोदय को सौंपा। संगठनों ने चेतावनी दी कि 15 दिनों के भीतर मांगों पर कार्रवाई न होने पर उग्र आंदोलन किया जाएगा। संगठनों ने कहा कि किसानों और आदिवासी समुदाय की समस्याएँ लगातार बढ़ रही हैं, पर समाधान के नाम पर सिर्फ आश्वासन मिल रहा है। ज्ञापन में शामिल प्रमुख मांगें इस प्रकार हैं- मक्का, धान, कपास सहित सभी फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर अनिवार्य खरीद, प्रत्येक तहसील में अतिरिक्त खरीदी केंद्र, पंजीयन व फसल धुलाई प्रक्रिया में पारदर्शिता, बिजली विभाग की अवैध वसूली (टच चार्ज आदि) पर रोक, राजस्व विभाग व पटवारियों द्वारा रिश्वतखोरी पर कार्रवाई, दम परियोजना का पानी महावीर बांध तक पहुँचाने की व्यवस्था, ग्रामीण इलाकों में नियमित व गुणवत्तापूर्ण बिजली आपूर्ति, आदिवासी क्षेत्रों में अवैध देशी–पक्की शराब की बिक्री पर रोक, किसान–मजदूरों के लंबित मामलों का शीघ्र निराकरण, आदिवासी बहुल क्षेत्रों में सरकारी योजनाओं का वास्तविक क्रियान्वयन, पेसा क्षेत्र में प्रशासनिक हस्तक्षेप पर रोक व ग्राम सभाओं को संवैधानिक अधिकार कुली 11 मांगे रखी गई है।
*“समस्याएँ हमारी… फाइलें आपकी...समाधान किसी का नहीं चलेगा”*
किसानों और ग्रामीण समुदाय ने आरोप लगाया कि खरीदी केंद्रों पर अव्यवस्था हावी है। तुला–धुलाई में अनियमितताएँ, राजस्व विभाग की रिश्वतखोरी और वन विभाग की मनमानी से लोग परेशान हैं। कई आदिवासी ग्रामों में अवैध शराब बिक्री के कारण सामाजिक समस्याएँ बढ़ रही हैं। ग्रामीणों ने कहा कि “परेशानी हमारी, फाइलें आपकी… और समाधान किसी का नहीं।” कार्यक्रम में जनपद अध्यक्ष सतीश भलावी, सरपंच अरुण सराठे, आषाढु भलावी, रामकिशन टेकाम, प्रकाश कड़ोपे, सियाराम इनवाती, शनिराम भलावी, साहबलाल कुमरे, पांडुरंग कुमरे, श्रेयांश पंद्रे, ओमकार ऊईके, दीपक धुर्वे, जिला युवा नेता देवरावेन भलावी, राजकुमारी धुर्वे, चंदू ऊईके सहित बड़ी संख्या में गोंडवाना आंदोलन के पदाधिकारी, सामाजिक कार्यकर्ता और किसान उपस्थित रहे। संगठनों ने प्रशासन को चेतावनी दी कि यदि 15 दिनों में समस्याओं का समाधान नहीं किया गया तो ब्लॉक स्तर पर धरना व जिला मुख्यालय का घेराव एवं सड़क पर उतरकर सामूहिक आंदोलन किया जाएगा, जिसकी जिम्मेदारी प्रशासन और राज्य सरकार की होगी।
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